Navratri 2025 8th Day: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की पूजा की जाती है। अत्यंत गौर वर्ण होने के कारण ही देवी का ये नाम पड़ा। इनकी पूजा से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
Devi Mahagauri Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि में रोज देवी के एक अलग रूप की पूजा की जाती है। इसी क्रम में अष्टमी तिथि की देवी महागौरी हैं। इस बार नवरात्रि 10 दिन होने से लोगों के मन में इस तिथि को लेकर कन्फ्यूजन है। पंचांग के अनुसार, इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 30 सितंबर, मंगलवार को रहेगी। इसलिए इसी दिन देवी महागौरी की पूजा की जाएगी। जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया तो उनका रंग काला पड़ गया। बाद में महादेव पाकर देवी पार्वती अत्यंत गौर वर्ण की हो गई, इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा। आगे जानिए देवी महागौरी की पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त व आरती…
30 सितंबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए किसी शुभ मुहूर्त में देवी महागौरी की तस्वीर किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। देवी को तिलक लगाएं और फूल माला अर्पित करें। शुद्ध घी का दीपक भी लगाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, हल्दी, सुपारी, चावल आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाएं। देवी को नारियल या इससे बनी किसी अन्य चीज का भोग लगाएं। नीचे लिखे मंत्र का जाप 108 बार बोलकर आरती करें- श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
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देवी महागौरी की आरती (Devi Mahagauri Aarti)
जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥ हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरी वहां निवासा॥ चंद्रकली ओर ममता अंबे। जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥ भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्यता॥ हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥ सती सत हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥ बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥ तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥ शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥ भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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