Parivartini Ekadashi 2025: कब करें परिवर्तिनी एकादशी व्रत? जानें सही डेट, पूजा विधि-मंत्र और मुहूर्त

Published : Sep 01, 2025, 09:32 AM IST

Parivartini Ekadashi 2025: एक साल में 24 एकादशी होती है, परिवर्तिनी एकादशी भी इनमें से एक है। इसका महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसे जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं। जानें 2025 में कब है परिवर्तिनी एकादशी?

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जानें परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी हर डिटेल

Parivartini Ekadashi 2025 Details: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इसे जलझूलनी एकादशी और डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जन्म के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार इसी एकादशी पर करवट ली थी, इसलिए इसका नाम परिवर्तिनी है। इस एकादशी पर विभिन्न समाजों द्वारा डोल यानी झाकियां निकाली जाती है। जानिए 2025 में कब है परिवर्तिनी एकादशी, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…


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कब है परिवर्तिनी एकादशी 2025?

पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 03 सितंबर, बुधवार की तड़के 03 बजकर 53 मिनिट से शुरू होगी, जो 04 सितंबर, गुरुवार की सुबह 04 बजकर 22 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 3 सितंबर, बुधवार को होगा, इसलिए इसी दिन परिवर्तिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन आयुष्मान, सौभाग्य और श्रीवत्स नाम के शुभ योग बनेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी अधिक हो गया है।

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परिवर्तिनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 06:13 से 07:46 तक
सुबह 07:46 से 09:19 तक
सुबह 10:53 से दोपहर 12:26
दोपहर 03:32 से 05:05 तक
शाम 05:05 से 06:38 तक

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परिवर्तिनी एकादशी की व्रत-पूजा विधि

- परिवर्तिनी एकादशी व्रत के नियम एक दिन पहले यानी 2 सितंबर, मंगलवार से पालन करें। इस दिन सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य रहें।
- 3 सितंबर की सुबह स्नान करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। दिन पर क्रोध न करें, किसी की बुराई न करें।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी कर लें। घर में जहां पूजा करनी है, उस स्थान को पानी से धोकर और गंगाजल छिड़कर पवित्र कर लें।
- शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। तय स्थान पर बाजोट रख इस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें, तिलक लगाएं और हार पहनाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद फूल, चावल, अबीर, गुलाल, इत्र, आदि चीजें एक-एक करके भगवान को चढ़ाते रहें।
- पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमो मंत्र का जाप करते रहें। भगवान को भोग लगाएं और अंत में आरती करें।
- पूजा और आरती के बाद व्रत की कथा भी सुनें। संकल्प के अनुसार एक समय भोजन या फलाहार कर सकते हैं। रात में भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन यानी 4 सितंबर, गुरुवार को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें।
- मान्यता है कि इसी विधि से जो परिवर्तिनी एकादशी का व्रत-पूजा करता है, उस पर भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है।

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भगवान विष्णु की आरती ( Om Jai Jagdish Hare Lyrics in Hindi)

ओम जय जगदीश हरे , स्वामी!
जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ऊं जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ओम जय जगदीश हरे।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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