Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त को, जानें मंत्र-मुहूर्त और पढ़ें व्रत की रोचक कथा

Published : Aug 03, 2025, 09:45 AM ISTUpdated : Aug 05, 2025, 08:16 AM IST

Putrada Ekadashi 2025 Date: सावन मास के शुक्ल पक्ष में पुत्रा एकादशी का व्रत किया जाता है, इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से योग्य पुत्र मिलता है। इस एकादशी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है।

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जानें पुत्रदा एकादशी से जुड़ी हर बात

Putrada Ekadashi 2025 Kab Hai: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी बहुत शुभ मानी गई है। इसे पुत्रदा और पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है जो भी व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का महत्व धर्म ग्रंथों में भी लिखा है। इस बार ये व्रत अगस्त 2025 में किया जाएगा। आगे जानिए पुत्रदा एकादशी व्रत की सही डेट, पूजा विधि, मंत्र आदि पूरी डिटेल…

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कब है पुत्रदा एकादशी 2025? (Kab Kare Putrda Ekadashi Vrat 2025)

पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 04 अगस्त, सोमवार की सुबह 11 बजकर 42 मिनिट से शुरू होगी, जो 05 अगस्त, मंगलवार की दोपहर 01 बजकर 12 मिनिट तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 5 अगस्त, मंगलवार को होगा, इसलिए इसी दिन पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाएगा।

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पुत्रदा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

सुबह 09:18 से 10:55 तक
सुबह 10:55 से दोपहर 12:32 तक
दोपहर 12:06 से 12:58 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:32 से 02:10 तक
दोपहर 03:47 से 05:25 तक

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पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Putrada Ekadashi Puja Vidhi)

- 5 अगस्त, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल, चावल व फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। अगर कोई मनोकामना हो तो वह भी बोलें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। यानी किसी की बुराई या चुगली न करें। कुछ भी खाए-पिएं नहीं। बहुत जरूरी हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- ऊपर बताए किसी मुहूर्त में भगवान विष्णु की प्रतिमा घर में किसी साफ स्थान पर स्थापित कर तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद चावल, फूल, अबीर, गुलाल, आदि चीजें एक-एकर करके चढ़ाते रहें। भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें। मौसमी फल, खीर आदि का भोग लगाएं।
- पूजा करते समय मन ही मन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। पूजा संपूर्ण होने पर भगवान की आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- रात को सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करें। अगली सुबह यानी 6 अगस्त, बुधवार को ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। ऐसा न कर पाएं तो जरूरतमंदों को दान करें।
- इसके बाद स्वयं भोजन करें। ग्रंथों के अनुसार इस तरह जो व्यक्ति पुत्रदा एकादशी का व्रत सच्चे मन और श्रद्धा से करता है उसे योग्य संतान मिलती है।

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भगवान विष्णु की आरती लिरिक्स हिंदी में (Lord Vishnu Aarti Lyrics In Hindi)

ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
माता-पिता तुम मेरे, स्वामी तुम मेरे।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम करुणा के सागर, तुम सब के स्वामी।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ऊं जय जगदीश हरे॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा॥ ऊं जय जगदीश हरे॥

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ये है पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi Katha)

पुत्रदा एकादशी की एक प्रचलित कथा है, उसके अनुसार, ‘किसी समय किसी राज्य में सेकुतुमान नाम के एक पराक्रमी राजा थे। वे बहुत दयालु भी थे। उनके राज्य में सभी लोग बहुत सुखी थे। राजा सुकेतुमान की कोई संतान नहीं थी। एक बार वे इस बात से इतने विचलित हुए कि जंगल में चले गए। वहां उन्हें एक ऋषि मिले। राजा सुकेतुमान ने उन्हें अपनी समस्या बताई। ऋषि ने उन्हें श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने को कहा। राजा सुकेतुमान ने ये व्रत पूरी भक्ति और निष्ठा से किया, जिससे उन्हें योग्य पुत्र प्राप्त हुआ।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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