Sankashti Chaturthi June 2025: संकष्टी चतुर्थी 14 जून को, जानें कब निकलेगा चंद्रमा? पूजा विधि, मंत्र सहित हर बात

Published : Jun 10, 2025, 03:52 PM ISTUpdated : Jun 14, 2025, 08:24 AM IST
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सार

Sankashti Chaturthi June 2025: जून 2025 के दूसरे सप्ताह में आषाढ़ मास का संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाएगा। ये व्रत इसलिए भी खास रहेगा क्योंकि इस दिन कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस व्रत का विशेष फल मिलेगा।

Sankashti Chaturthi June 2025: धर्म ग्रंथों के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इसे कृष्ण पिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। सभी चतुर्थी तिथियों में इसका विशेष महत्व है। इस दिन कईं शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी अधिक रहेगा। पुराणों की मानें तो संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। जून 2025 में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 14 जून, शनिवार को किया जाएगा। 

 संकष्टी चतुर्थी पर कब होगा चंद्रोदय?

कृष्ण पिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत में पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और इसके बाद चंद्रमा की। 14 जून, शनिवार को चंद्रोदय लगभग रात 10.07 पर होगा। इसलिए आप अपनी सुविधा के अनुसार, रात 8 से 9 के बीच में कभी भी भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

- 14 जून, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- तय मुहूर्त से पहले घर में किसी स्थान को साफ कर लें और गंगाजल छिड़क लें। शुभ मुहूर्त में यहां लकड़ी के पटिए पर श्रीगणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- भगवान श्रीगणेश के चित्र पर तिलक करें, माला पहनाएं और दीपक जलाएं। इसके बाद वस्त्र, जनेऊ आदि चीजें भी चढ़ाएं। श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाएं।
- पूजा करते समय ऊँ गं गणपतेय नम: मंत्र का जाप भी करते रहें। मौसमी फलों और लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद विधि-विधान से श्रीगणेश की आरती करें।
-रात को चब चंद्रमा उदय हो जाए तब जल से अर्ध्य दें और फूल चढ़ाएं। इसके बाद अपनी मनोकामना भी कहें। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गणेशजी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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