Labh Panchami 2025: कब है लाभ पंचमी, 25 या 26 अक्टूबर? जानें लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त और विधि

Published : Oct 24, 2025, 12:12 PM IST
Labh Panchami 2025

सार

Labh Panchami 2025: दिवाली के 5 दिन बाद लाभ पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। गुजरात में इसी दिन से नए साल की शुरूआत मानी जाती है। इस पर्व से जुड़ी कईं परंपराएं भी हैं।

Labh Panchami 2025 Details: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर लाभ पंचमी का पर्व मनाया जाता है। गुजरात में इसकी विशेष मान्यता है क्योंकि इसी दिन से वहां व्यापारिक नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है। इस दिन व्यापारी देवी लक्ष्मी के साथ अपने बही खातों की भी पूजा करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके बिजनेस में तरक्की होती है। इस सौभाग्य पंचमी और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व सौभाग्य, धन और ज्ञान से संबंधित है। आगे जानिए इस बार कब है लाभ पंचमी, कैसे करें देवी लक्ष्मी की पूजा और शुभ मुहूर्त की डिटेल…

ये भी पढ़ें-
Chhath Puja 2025: बिना ‘ठेकुआ’ अधूरा है छठ पर्व, इसका भोग क्यों जरूरी?

कब है लाभ पंचमी 2025?

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 26 अक्टूबर, रविवार की तड़के 03 बजकर 48 मिनिट से शुरू होगी, जो 28 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। चूंकि पंचमी तिथि का सूर्योदय 26 अक्टूबर को होगा, इसलिए इसी दिन ये पर्व मनाया जाएगा।

ये भी पढ़ें-
Chhath Puja 2025: घाट नहीं जा सकते? घर पर ऐसे करें छठी मैया की पूजा, जानें पूरी विधि

लाभ पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 06:29 से 10:13 तक (श्रेष्ठ मुहूर्त)
सुबह 09:21 से 10:46 तक
दोपहर 11:48 से 12:33 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 01:35 से 02:59 तक

लाभ पंचमी पर कैसे करें लक्ष्मी पूजा?

- लाभ पंचमी पर शुभ मुहूर्त में किसी साफ स्थान पर देवी लक्ष्मी का चित्र या मूर्ति एक आसान पर स्थापित करें।
- पास में बही खाते व हिसाब-किताब की अन्य पुस्तकें भी रख दें। सबसे पहले देवी लक्ष्मी के चित्र पर तिलक लगाएं।
- इसके बाद फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं। देवी लक्ष्मी को प्रणाम कर मनोकामना कहें।
- इसके बाद पूजा स्थान पर रखें बही खातों पर स्वस्तिक बनाकर इनकी भी पूजा करें। फूल-चावल आदि भी चढ़ाएं।
- देवी लक्ष्मी को अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। मन में लक्ष्मी मंत्र का जाप भी करते रहें।
- इस तरह देवी लक्ष्मी और बही खातों की पूजा करने के बाद कपूर से आरती करें। सुख-समृद्धि की कामना करें।

देवी लक्ष्मी की आरती लिरिक्स हिंदी में

ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं...।।
दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं...।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं...।।
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं...।।
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं...।।
महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं...।।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Religious Story: भगवान विष्णु की कितनी पुत्रियां हैं, क्या हैं इनका नाम? जानें रोचक कथा
Annapurna Jayanti Vrat Katha: क्यों महादेव ने देवी अन्नपूर्णा से मांगी भिक्षा? पढ़ें रोचक कथा