महाशिवरात्रि पर कौन-सा मंत्र बोलकर करें शिव पूजा? जानें विधि और शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि पर दिन के अलावा रात में भी महादेव की पूजा का विधान है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और हर इच्छा पूरी होती है।

 

Mahashivratri 2025 Mantra Puja Details: हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस पर्व से जुड़ी दो मान्यताएं हैं, पहली मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे, वहीं दूसरी मान्यता ये है कि इस तिथि पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा रात में करने का विधान है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से जानिए महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र सहित पूरी डिटेल…

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महाशिवरात्रि 2025 के शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2025 Shubh Muhurat)

वैसे तो महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा रात में करने का विधान है लेकिन आमजन दिन में भी शिवजी की पूजा कर सकते हैं। महाशिवरात्रि पूजन दिन के मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 08:20 से 09:47
- सुबह 11:13 से दोपहर 12:39 तक
- दोपहर 03:32 से शाम 04:58 तक
- शाम 04:58 से 06:24 तक

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महाशिवरात्रि 2025 रात्रि पूजा के शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2025 Shubh Muhurat)

महाशिवरात्रि की रात चार बार शिवजी की पूजा की जाती है। अगर कोई व्यक्ति चारों प्रहर पूजा न कर पाए तो निशिता काल में एक बार ही पूजा कर सकते हैं। इससे चारों प्रहर की पूजा का फल मिलता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि में पूजन के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं…
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06:19 से रात 09:26 तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात 09:26 से 12:34 तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – रात 12:34 से तड़के 03:41 तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – तड़के 03:41 से सुबह 06:48 तक
निशिता काल पूजा समय – रात 12:09 से 12:59 तक

इस विधि से करें महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा (Mahashivratri 2025 Puja Vidhi-Mantra)

- महाशिवरात्रि की सुबह यानी 26 फरवरी, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। जैसा व्रत आप करना चाहते हैं, उसी के साथ संकल्प लेना चाहिए।
- जिस शुभ मुहूर्त में आप पूजा करना चाहते हैं, उसके पहले पूजन सामग्री एक स्थान पर एकत्रित कर लें। मुहूर्त शुरू होते ही शिवलिंग की स्थापना किसी साफ स्थान पर करें। सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक शिवलिंग के सामने जलाएं।
- शिवलिंग का अभिषेक शुद्ध जल से करें, फिर पंचामृत से और फिर एक बार पुन: शुद्ध जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर फूल चढ़ाते समय ये मंत्र बोलें-
देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।।
- इसके बाद एक-एक करके बिल्व पत्र, भांग, धतूरा, चावल, बेर, इत्र, पान, शहद, मौली, मंदार पुष्प, धतूरा, जनेऊ आदि चीजें चढ़ाएं। इस तरह पूजा करने के बाद महादेव को मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- पूजा के बाद महाशिवरात्रि की कथा सुनें और आरती करें। दिन भर मन ही मन में भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहें। बुरे विचार मन में न लाएं। पूरी तरह से सात्विकता का पालन करें।
- रात्रि के चारों प्रहर में भी ऊपर बताई गई विधि से भगवान शिव की पूजा करें। महादेव से इस प्रकार प्रार्थना करें-
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च।
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि।।
- अगले दिन यानी 27 फरवरी, गुरुवार की सुबह शुभ मुहूर्त में व्रत का पारणा करें यानी ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें। इस प्रकार महाशिवरात्रि की पूजा करने से महादेव अति प्रसन्न होते हैं।

भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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