Masik Shivratri November 2025: नवंबर में कब करें शिवरात्रि व्रत? जानें पूजा विधि, मुहूर्त और मंत्र

Published : Nov 16, 2025, 09:04 AM IST
Masik Shivratri November 2025

सार

Masik Shivratri November 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर महीने शिवरात्रि व्रत किया जाता है। इस व्रत में महादेव की पूजा रात में करने का विधान है। नवंबर 2025 में मासिक शिवरात्रि कब है? आगे जानें सही डेट, पूजा विध और मंत्र सहित पूरी डिटेल।

November 2025 Mai Masik Shivratri Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि व्रत किया जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि व्रत कहते हैं। नवंबर 2025 के तीसरे सप्ताह में अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का संयोग 18 नवंबर, मंगलवार को बन रहा है यानी इसी दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाएगा। शिवरात्रि व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए मासिक शिवरात्रि व्रत की पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त सहित हर बात…

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18 नवंबर 2025 शिवरात्रि व्रत शुभ मुहूर्त

मासिक शिवरात्रि व्रत में रात को निशिथ काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। 18 नवंबर, मंगलवार को शिवरात्रि व्रत का पूजा मुहूर्त रात 11 बजकर 40 मिनिट से 12 बजकर 33 मिनिट तक रहेगा। यानी भक्तों को महादेव की पूजा के लिए पूरे 53 मिनट का समय मिलेगा।
 

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मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजा विधि

- 18 नवंबर, मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद हाथ में जल, चावल व फूल लेकर व्रत के नियमों का संकल्प करें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। कुछ भी खाए नहीं, ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फलाहार यानी फल या दूध ले सकते हैं।
- रात को शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की सामग्री एकत्रित कर लें। पूजा से पहले स्नान आदि कर शुद्ध हो जाएं और इसके बाद पूजा शुरू करें।
- सबसे पहले शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाएं फिर दीपक जलाएं। इसके बाद फूल, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप मन ही मन में लगातार करते रहें। पूजा के बाद महादेव को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं।
- इसके बाद आरती और रात भर भजन-कीर्तन करें। 19 नवंबर, बुधवार की सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा आदि दें।
- इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस तरह विधि-विधान से मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

भगवान शिव की आरती (Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi)

जय शिव ओंकारा ऊं जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ऊं जय शिव ओंकारा॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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