Narasimha Dwadashi 2023: नृसिंह द्वादशी 3 मार्च को, इस विधि से करें पूजा और आरती, टल जाएगा बुरा समय

Narasimha Dwadashi 2023: होली की एक कथा भगवान नृसिंह से भी जुड़ी है। होली से पहले आने वाली द्वादशी तिथि पर भगवान नृसिंह की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार ये तिथि 3 मार्च को आ रही है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं।

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को नृसिंह द्वादशी (Narasimha Dwadashi 2023) कहते हैं। इस बार ये तिथि 3 मार्च, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान नृसिंह की पूजा विशेष रूप से की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस तिथि पर भगवान नृसिंह की पूजा से कई तरह के दोष दूर हो जाते हैं और बुरा समय टल जाता है। इस बार नृसिंह द्वादशी का पर्व सर्वार्थसिद्धि, सौभाग्य और शोभन योग में मनाया जाएगा, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानें इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

क्यों लेना पड़ा भगवान विष्णु को नृसिंह अवतार?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी समय हिरण्यकश्यिपु नाम का एक महापराक्रमी राक्षस था। उसने अपने बाहुबल से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। वो स्वयं को भगवान मानता था और लोगों से उसकी पूजा करने को कहता था। उसका एक पुत्र था प्रह्लाद जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। जब ये बात हिरण्यकश्यिपु को पता चली तो उसने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। उसी समय भगवान विष्णु नृसिंह रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यिपु का वध कर दिया। इस अवतार में भगवान नृसिंह का आधा शरीर मानव का और आधा शेर का था।

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इस विधि से करें भगवान नृसिंह की पूजा (Narasimha Puja Vidhi)
- 3 मार्च की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। एक पटिए (बाजोट) पर तांबे का कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर चावल से भरा एक बर्तन रखें। इसके ऊपर भगवान नृसिंह की देवी लक्ष्मी की प्रतिमा रखें।
- दोनों मूर्तियों की विधि-विधान से पूजा करें। अगर स्वयं ये पूजा न कर पाएं तो किसी योग्य ब्राह्मण की मदद भी ले सकते हैं। भगवान नृसिंह को चंदन, कपूर, रोली व तुलसीदल भेंट करें। नीचे लिखे मंत्र के साथ भोग लगाएं-
नैवेद्यं शर्करां चापि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्।
ददामि ते रमाकांत सर्वपापक्षयं कुरु।।
(पद्मपुराण, उत्तरखंड 170/62)
- अब भगवान नृसिंह की कथा सुनें। दूसरे दिन यानी पूर्णिमा पर स्नान करने के बाद फिर से भगवान नृसिंह की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उचित दान-दक्षिण देकर ससम्मान विदा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें। भगवान नृसिंह की पूजा से हर तरह का दुख और भय दूर होता है।

भगवान नृसिंह की आरती ( Lord Narasimha Aarti)
ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी,
प्रभु भक्तन हितकारी । अद्भुत रूप बनाकर,
अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी,
प्रभु दुस्यु जियो मारी। दास जान आपनायो,
दास जान आपनायो, जन पर कृपा करी ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे,
प्रभु माला पहिनावे। शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥



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