Navratri 2023 8th Day: 22 अक्टूबर को नवरात्रि के आठवें दिन करें देवी महागौरी की पूजा, लगाएं नारियल का भोग

Navratri 2023 Goddess Mahagauri: देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी महागौरी हैं। इसलिए नवरात्रि के आठवें दिन इनकी पूजा की जाती है। इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर, रविवार को है। ये तिथि कन्या पूजन के लिए भी श्रेष्ठ मानी जाती है।

 

Manish Meharele | Published : Oct 21, 2023 10:41 AM IST

Navratri 2023 Devi Mahagauri Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी महागौरी की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 22 अक्टूबर, रविवार को है। देवी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। आगे जानिए देवी महागौरी की पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त, कथा व आरती…

ऐसा है माता का स्वरूप (Navratri ke Aatve Din Kis Devi Ki Puja Kare)
देवी महागौरी का बाहन सफेद बैल है। इनका स्वभाव अति शांत है। देवी महागौरी की पूजा से हर तरह का सुख हमें प्राप्त हो सकता है। इनकी चार भुजाएं हैं। देवी के दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है।

इस विधि से करें देवी महागौरी की पूजा (Devi Mahagauri Puja Vidhi)
22 अक्टूबर, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर देवी महागौरी की तस्वीर या प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं, देवी को कुमकुम का तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। देवी को नारियल या उससे बनी मिठाई का भोग लगाएं। नीचे लिखा मंत्र बोलें और आरती करें-
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

देवी महागौरी की आरती (Devi Mahagauri Aarti)
जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकली ओर ममता अंबे। जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती सत हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

देवी महागौरी की कथा (Devi Mahagauri Ki Katha)
देवी पुराण के अनुसार देवी पार्वती ने महादेव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक घोर तपस्या की। लगातार तपस्या करने से उनका रंग काला पड़ गया। जब भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने देवी पार्वती को मनचाहा वरदान दिया। शिवजी के वरदान से ही देवी पार्वती फिर से गौरी हो गई। इसलिए देवी का एक नाम महागौरी भी है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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