देश-विदेश में माता के कुल 52 शक्तिपीठ हैं, इनमें से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन में है। इसे हरसिद्धि माता मंदिर के नाम से जाना ताता है। ये महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
नवरात्रि के दौरान हरसिद्धि मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।मान्यता है कि यहां देवी सती की कोहनी गिरी थी। यहां की कई परंपराएं और मान्यताएं इस मंदिर को खास बनाती हैं।
विक्रमादित्य भारत के महान राजाओं में से एक थे। देवी हरसिद्धि इनकी कुलदेवी हैं। राजा विक्रमादित्य ने देवी को खुश करने के लिए कई बार अपने मस्तक काटकर यहां चढ़ा दिए थे।
हरसिद्धि मंदिर परिसर में लगे एक आलेख से पता चलता है कि किसी समय यहां भैसों की बलि देने की परंपरा था। बाद में इस परंपरा को बंद कर दिया गया।
हरसिद्धि मंदिर परिसर में में दो दीप स्तंभ हैं जो लगभग 50 फीट ऊंचे हैं। इनमें हजारों दीपक हैं। ये दीप स्तंभ शिव और शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं।
हरसिद्धि मंदिर तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए भी प्रसिद्ध है। नवरात्रि में दूर-दूर से तांत्रिक यहां आते हैं। मंदिर के गर्भगृह की छत पर श्रीयंत्र बनाया गया है, जो देवी का स्वरूप है।