Navratri 2025 4th Day: 2 दिन रहेगी नवरात्रि की चतुर्थी तिथि, किस देवी की करें पूजा? जानें मुहूर्त सहित हर बात

Published : Sep 24, 2025, 03:57 PM IST

Navratri 2025 4th Day: नवदुर्गा में देवी कूष्मांडा भी एक हैं। इनकी पूजा शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। कहते हैं कि संसार की उत्पत्ति इन्हीं के उदर यानी पेट से हुई है, इसलिए इनका ये नाम पड़ा।

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जानें देवी कूष्मांड की पूजा से जुड़ी हर बात

Navratri 2025 Devi Kushmanda Puja Vidhi: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 9 नहीं बल्कि 10 दिनों तक मनाया जाएगा क्योंकि इस नवरात्रि में चतुर्थी तिथि का संयोग लगातार 2 दिनों तक रहेगा-25 और 26 सितंबर। इसलिए इन दोनों ही दिन नवरात्रि की चौथी देवी देवी कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी कूष्मांडा की पूजा करने से लंबी उम्र और अच्छी सेहत का वरदान मिलता है। आगे जानें देवी कूष्मांडा की पूजा विधि, आरती, मंत्र आदि डिटेल…


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25 सितंबर 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 10:48 से दोपहर 12:18 तक
दोपहर 11:54 से 12:42 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:18 से 01:48 तक
दोपहर 01:48 से 03:17 तक
शाम 06:16 से 07:47 तक


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देवी कूष्मांडा की पूजा विधि और मंत्र

25 सितंबर, गुरुवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए किसी भी एक शुभ मुहूर्त में घर में साफ स्थान पर एक बाजोट यानी लकड़ी के पटिए पर देवी कूष्मांडा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। देवी को तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं और दीपक भी जलाएं। पूजा की अन्य चीजें जैसे अबीर, गुलाल, जनेऊ , सुपारी आदि चीजें एक-एक करकें अर्पित करें। देवी को मालपुए का भोग लगाएं और आरती करें। पूजा के बाद संभव हो तो नीचे लिखे मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें-
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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मां कूष्मांडा की आरती लिरिक्स हिंदी में

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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