Sankashti Chaturthi March 2023: 2 दिन किया जाएगा चैत्र मास का संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि, मंत्र और आरती

Sankashti Chaturthi March 2023: चैत्र मास की संकष्टी चतुर्थी को लेकर इस बार असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ पंचांगों में संकष्टी चतुर्थी 10 मार्च को बताई गई है तो कुछ में 11 मार्च। इस वजह से दोनों दिन ये व्रत किया जाएगा।

 

Manish Meharele | Published : Mar 10, 2023 4:26 AM IST / Updated: Mar 14 2023, 08:21 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi March 2023) व्रत किया जाता है। इस बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को लेकर पंचांगों में मतभेद की स्थिति बन रही है, जिसके चलते ये व्रत एक नहीं बल्कि दो दिन किया जाएगा। कुछ पंचांगों में चैत्र मास के संकष्टी चतुर्थी व्रत की तारीख 10 मार्च तो किसी में 11 मार्च बताई गई हैं। आगे जानिए क्यों बन रही है ये स्थिति व इस व्रत की पूजा विधि…

इसलिए बन रही है ये स्थिति
कुछ पंचागों के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 मार्च रात 09:42 से शुरू होकर 11 मार्च की रात 10:05 तक रहेगी। जबकि कुछ पंचागों में इस तिथि के समय को लेकर मतभेद है। 10 मार्च को चंद्रोदय रात लगभग 9 बजे होगा। चतुर्थी का व्रत उस दिन किया जाता है, जिस दिन चंद्रमा का उदय चतुर्थी तिथि में होता है। पंचांग भेद के कारण ये समय विभिन्न पंचांगों में अलग-अलग बताया गया है, जिसकी वजह से असमंजस की स्थिति बन रही है। हालांकि लोग स्थानीय परंपरा के अनुसार ये व्रत दोनों दिन कर सकते हैं।

इस विधि से करें पूजा (Sankashti Chaturthi March 2023 Puja Vidhi)
- स्थानीय परंपरा के अनुसार, आप दिन ये व्रत करना चाहें, उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। जैसे व्रत आप करना चाहते हैं, संकल्प भी उसी के अनुसार लें।
- दिन भर संकल्प के अनुसार, व्रत का पालन करें। किसी तरह का कोई बुरा विचार मन में न लाएं और सात्विकता पूर्वक रहें। जितना कम हो, उतना बोलें। मन ही मन श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें।
- शाम को चंद्रमा उदय होने से पहले भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुंकम का तिलक लगाएं। फूल माला पहनाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। लड्डू व मौसमी फलों का भोग लगाएं। साथ ही दूर्वा भी चढ़ाएं। संभव हो तो श्रीगणेशाय नम: मंत्र का जाप भी करें।
- अंत में आरती कर प्रसाद भक्तों में बांट दें। इसके बाद चंद्रमा उदय होने से जल से अर्घ्य दें और व्रत के फल के लिए प्रार्थना करें। इस तरह संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गणेशजी की आरती (Ganesh ji Ki Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


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