Sankashti Chaturthi February 2023: 9 फरवरी को करें द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, योग व महत्व

Sankashti Chaturthi February 2023: इस बार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 फरवरी, गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीगणेश के द्विजप्रिय स्वरूप की पूजा का विधान है। साथ ही इस दिन देवी पार्वती की पूजा भी की जाएगी। 9 फरवरी को और भी कई शुभ योग बनेंगे।

 

उज्जैन.  धर्म ग्रंथों के अनुसार, 9 फरवरी, गुरुवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी, जिसके चलते इस दिन संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi February 2023) का व्रत किया जाएगा। इस व्रत में मुख्य रूप से भगवान श्रीगणेश और देवी पार्वती की पूजा की जाएगी। घर की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं इस दिन व्रत रखेंगी और शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही अपना उपवास पूर्ण करेंगी। आगे जानिए इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के किस रूप की पूजा होती है, पूजा विधि व शुभ योग आदि की जानकारी…

इस दिन करें श्रीगणेश के द्विजप्रिय रूप की पूजा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान श्रीगणेश के द्विजप्रिय रूप की पूजा का विधान है। इसलिए इसे द्विजप्रिय चतुर्थी भी कहते हैं। द्विजप्रिय का अर्थ है जिस रूप में भगवान श्रीगणेश ने यज्ञोपवित यानी जनेऊ पहनी हो। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता पार्वती भगवान शिव से किसी बात पर नाराज हो गईं तो उन्हें मनाने के लिए शिवजी ने यह व्रत किया था। इससे प्रसन्न होकर देवी पार्वती वापस लौट आईं थीं।

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जानें शुभ योग और शुभ मुहूर्त के बारे में (Sankashti Chaturthi February 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 9 फरवरी, गुरुवार की सुबह 06:23 से 10 फरवरी, शुक्रवार की सुबह 07:58 तक रहेगी। इस दिन सुकर्मा और मातंग नाम के दो शुभ योग दिन भर रहेंगे। साथ ही मकर राशि में सूर्य और बुध के साथ होने से बुधादित्य नाम का राजयोग भी बन रहा है। इन शुभ योगों में की गई पूजा शुभ फल देने वाली रहेगी। इस दिन चंद्रोदय रात 09:18 पर होगा। स्थान के अनुसार, चंद्रोदय के समय में अंतर आ सकता है।

इस विधि से करें पूजा (Sankashti Chaturthi February 2023 Puja Vidhi)
- 9 फरवरी, की सुबह स्नान आदि करने के बाद लाल कपड़े पहनें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश और देवी पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा स्थान पर दीपक जलाएं।
- धूप-दीप जलाकर गौरी-गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। फूल माला पहनाएं और अबीर, गुलाल, रोली, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। भगवान श्रीगणेश और देवी पार्वती को लड्डू व मौसमी फलों का भोग लगाएं। साथ ही दूर्वा भी चढ़ाएं।
- इसके बाद आगे बताए गए भगवान श्रीगणेश के 12 नाम बोलें- ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नमः, ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, ऊँ विनायकाय नमः, ऊँ ईशपुत्राय नमः, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, ऊँ एकदन्ताय नमः, ऊँ इभवक्त्राय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः
- इस प्रका पूजा करने के बाद आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें। इस तरह द्विजप्रिय चतुर्थी पर श्रीगणेश और देवी पार्वती की पूजा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है।


 

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

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