Mahakaal Temple: उज्जैन के महाकाल मंदिर में 9 दिन तक मनाया जाएगा शिव नवरात्रि पर्व, जानें किस दिन, कौन-से रूप में दर्शन देंगे महादेव?

Mahakaal Temple Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि से पहले शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 10 फरवरी से शुरू होगा। इस दौरान प्रतिदिन भगवान महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जाता है।

 

Manish Meharele | Published : Feb 7, 2023 5:20 AM IST

उज्जैन. देश भर में महाशिवरात्रि (mahashivratri 2023) का पर्व 18 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। देश के प्रमुख शिव मंदिरों में इस पर्व पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaal Temple Ujjain) में भी इस पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। देश भर के ज्योर्तिलिंगों में से एकमात्र उज्जैन के बाबा महाकाल के आंगन में नौ दिवसीय शिव नवरात्रि (shiv navratri 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान भगवान महाकाल 9 दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते है। आगे जानिए क्या है शिव नवरात्रि पर्व…

महादेव का विवाह उत्सव है शिव नवरात्रि
महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन शिवजी का देवी पार्वती से विवाह हुआ था। शिव नवरात्रि इसी विवाह के पहले का उत्सव है। ये उत्सव सिर्फ उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही मनाया जाता है, जो महाशिवरात्रि से 9 दिन पहले शुरू होता है। इन 9 दिनों में भगवान महाकाल को हल्दी और मेहंदी लगाई जाती है। इन 9 दिनों में भगवान महाकाल का मोहक श्रृंगार के साथ ही पूजन, अभिषेक और अनुष्ठान का दौर चलता है।

अंतिम दिन पहनाया जाता है सेहरा
शिव नवरात्रि पर्व के अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में श्रृंगारित किया जाता है और कई क्विंटल वजनी सेहरा धारण करवाया जाता है। पूरे साल में सिर्फ एक बार ही भगवान महाकाल के इस रूप के दर्शन होते हैं, इसलिए इसे देखने के लिए भक्तों की कतार लगती है। भगवान महाकाल का सेहरा बनाने के लिए विदेशी फूलों का उपयोग भी किया जाता है जो विशेष तौर पर आर्डर देकर मंगवाए जाते हैं।

कब से कब तक मनाया जाएगा शिव नवरात्रि पर्व?
इस बार शिव नवरात्रि का पर्व 10 से 18 फरवरी तक मनाया जाएगा। परंपरा के अनुसार 10 फरवरी को सुबह नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन करने के बाद कोटितीर्थ कुंड के समीप श्री कोटेश्वर व रामेश्वर महादेव मंदिर में शिवपंचमी की पूजा के साथ शिवनवरात्रि की शुरुआत होगी। कोटेश्वर महादेव को चंदन तथा जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाएगी। पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार होगा।

9 दिन में होंगे ये 9 अलग-अलग श्रृंगार
- शिव नवरात्रि पर्व के पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाएगा और जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाएगी।
- दूसरे दिन भगवान महाकाल का शेषनाग के रूप में श्रृंगार किया जाएगा।
- शिव नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान महाकाल का घटाटोप श्रृंगार किया जाएगा।
- चौथे दिन भगवान महाकालेश्वर का छबीना श्रृंगार होगा।
- शिव नवरात्रि के पांचवे दिन भगवान महाकाल होलकर रूप में भक्तों को दर्शन देंगे।
- छठे दिन महाकाल मनमहेश स्वरूप में दिखाई देंगे।
- शिव नवरात्रि के सातवें दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती भी दिखाई देंगी। इसे उमा-महेश श्रृंगार कहा जाता है।
- आठवें दिन महाकाल का श्रृंगार शिव तांडव स्वरूप में होगा।
- शिव नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं। जिसे सेहरा दर्शन कहा जाता है।



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