Sawan Somwar Katha: इस कथा को सुने बिना नहीं मिलेगा सावन सोमवार व्रत का फल

Published : Jul 22, 2024, 08:48 AM IST
shiv bhajan 06

सार

Sawan 2024: धर्म ग्रंथों में श्रावण मास का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में शिवजी की पूजा करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है। इस महीने में आने वाले सभी सोमवार को एक कथा जरूर सुननी चाहिए। 

Sawan Somwar 2024 Vrat Details: हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है श्रावण, जिसे सावन भी कहते हैं। इस महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में आने वाले सभी सोमवार भी शिव पूजा के लिए बहुत खास माने गए हैं। इस बार सावन मास की शुरूआत 22 जुलाई से हो चुकी है, जो 19 अगस्त तक रहेगा। इस बार सावन में 5 सोमवार का संयोग बन रहा है। जो लोग सावन सोमवार का व्रत करते हैं, उनके लिए सावन सोमवार व्रत की कथा सुनना भी जरूरी है। तभी व्रत का पूरा फल मिलता है। आगे जानिए सावन सोमवार की कथा…

ये है सावन सोमवार की कथा (Sawan Somwar Vrat Katha)
- किसी समय में एक शहर में साहूकार रहता था। वह शिवजी भक्त था। संतान न होने के कारण वह उदास था। संतान की इच्छा से वह हर सोमवार को शिव-पार्वती की पूजा भी करता था। उसकी भक्ति देखकर एक दिन शिवजी प्रकट हुए और उसे संतान का वरदान दिया, लेकिन ये भी कहा कि तुम्हारे पुत्र की आयु सिर्फ 16 साल की होगी।
- शिवजी के वरदान से साहूकार के यहां एक सुंदर बालक हुआ। समय के साथ साहूकार शिवजी की बात भूल गया। जब वह बालक 11 साल का हो गया तो साहूकार को शिवजी की बात याद ई। उसने अपने पुत्र को उसके मामा के साथ शिक्षा प्राप्त करने काशी भेज दिया और कहा कि ‘रास्ते में ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाना।’
- दोनों मामा भांजे काशी के लिए निकल पड़े। रास्ते में एक राज अपनी पुत्री का विवाह कर रहा है। जिस लड़के से राजकुमारी का विवाह होने वाला था वह काना था। ये बात लड़के के पिता ने किसी को बताई नहीं थी। ये बात गुप्त रहे इसलिए लड़के के पिता ने साहूकार की बेटे को अपनी बातों में फंसाकर उसका विवाह राजकुमारी से करवा दिया।
- विवाह के बाद जब साहूकार का बेटा काशी जाने लगा तो उसने राजकुमारी के दुपट्टे पर लिखा दिया कि ‘जिस राजकुमार के साथ तुम्हें भेजा जाएगा वह काना है। वो मैं नहीं हूं।’ राजकुमारी ने ये देखा तो काने राजकुमार के साथ जाने से इंकार कर दिया। उधर साहूकार का पुत्र अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्त करने काशी पहुंच गया।
- काशी में ही रहते हुए वह 16 वर्ष का हो गया, तभी एक दिन अचानक उसकी मृत्यु हो गई। उसी समय भगवान शिव-पार्वती का काशी आना हुआ। युवा मृतक को देखकर देवी पार्वती दुखी हो हुई। तब शिवजी ने साहूकार के पुत्र को दोबारा जीवित कर दिया। शिक्षा प्राप्त कर साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ घर लोटने लगा।
- रास्ते में वही नगर पड़ा, जिसकी राजुकमारी से उसका विवाह हुआ था। राजकुमारी ने उसे देखते ही पहचान लिया। राजा ने उसे अपना दामाद मानकर राजकुमारी और बहुत सारा धन देकर उसे विदा किया। बेटे को जीवित देख साहूकार भी बहुत खुश हुआ। रात में साहूकार को सपने में आकर शिव ने कहा कि ये सब सोमवार व्रत करने का फल है।


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