इस बार सावन के पवित्र महीने की शुरूआत 22 जुलाई, सोमवार से हो रही है। अगर आप सावन के पहले ही दिन 12 ज्योतिर्लिंगों की तस्वीरें देखना चाहते हैं तो आगे क्लिक करें…
12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है सोमनाथ। ये गुजरात के सौराष्ट्र में है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना चंद्रदेव ने की है। इस मंदिर को विदेशी आक्रमणकारियों ने 17 बार लूटा था।
दूसरा ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर है। मान्यता है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से पाप नष्ट हो जाते हैं। हर अमावस पर शिवजी और पूर्णिमा पर देवी पार्वती यहां आती हैं।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां होने वाली भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। उज्जैन के लोग महाकाल को राजा मानते हैं।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा में है। इसके समीप नर्मदा नदी बहती है जो पहाड़ी के चारों ओर बहते हुए ऊं का आकार बनता है। इसलिए इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में है केदारनाथ। इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है, वैसा ही महत्व शिवजी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
ये महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर कुंभकर्ण के पुत्र भीम का वध किया था। राक्षस भीम के नाम पर ही इसका नाम भीमाशंकर है।
उत्तर प्रदेश के काशी में है विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है। प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। यहां से कईं रोचक परंपराएं जुड़ी हुई हैं।
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक में है। इस मंदिर के पास से ही गोदावरी नदी शुरू होती है। कहा जाता है कि गौतम ऋषि के आग्रह पर भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित हुए।
ज्योतिर्लिंगों में नौवां है वैद्यनाथ। ये झारखंड के देवघर में स्थित है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं राक्षसराज रावण ने की थी। इसे कामना लिंग भी कहते हैं।
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका में है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहते हैं कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से यहां दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
तमिलनाडु के रामनाथपुरं में है ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम। ये मंदिर चार धामों में से एक भी है। इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी, इसलिए इसका नाम रामेश्वरम रखा गया है।
ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद में है। इसे घृसणेश्वर और घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।