धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत में बिना पानी पिए व्रत करने का नियम है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।
इस बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून, सोमवार की सुबह 04 बजकर 43 मिनिट से शुरू होगी जो 18 जून, मंगलवार की सुबह 06 बजकर 25 मिनिट तक रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, द्वादशी के संयोग में किया गया एकादशी व्रत विशेष शुभ रहता है, इसलिए निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून, मंगलवार को किया जाएगा।
निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून, मंगलवार को किया जाएगा। व्रत का पारणा अगले दिन यानी 19 जून, बुधवार की सुबह किया जाएगा। पारणा करने पर ही व्रत का पूरा फल मिलता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, साल की सभी 24 एकादशी में से निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक है। इस दिन किए गए व्रत का फल पूरे साल की एकादशी व्रत का बराबर माना जाता है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार पांडु पुत्र भीम पूरे साल में सिर्फ यही एक व्रत करते थे। इसलिए इस व्रत का नाम भीमसेनी एकादशी पड़ा।