हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा बिना भोग लगाए पूरी नहीं होती। भगवान को भोग लगाते समय अनेक बातों का ध्यान रखा जाता है। आगे जानिए भोग लगाने से जुड़े नियम…
जब भी भगवान को भोग लगाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि वो पूरी तरह से शुद्ध हो। संभव हो तो घर में ही भगवान के लिए भोग सामग्री तैयार करें। इससे और भी अधिक शुभ फल मिलेंगे।
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
अर्थ- हे ईश्वर आपका दिया आपको ही समर्पित करता हूं। इसे ग्रहण करें और मुझ पर प्रसन्न हों।
भगवान को दिन में कितनी बार भोग लगाएं, इसके बारे में अलग-अलग मत हैं। किसी देवता के बाल रूप की पूजा करें तो दिन में 4 बार और अन्य स्थिति में 1 से 2 बार भोग लगाना चाहिए।
भगवान को कांसे, स्टील या एल्यूमिनियम के बर्तन में भोग न लगाएं। भोग के लिए सोने, चांदी, तांबे, या पीतल का पात्र हो तो शुभ रहता है। मिट्टी के बर्तन में भी भोग लगा सकते हैं।
भोग लगाने के कुछ देर बाद उसे भगवान का सामने से हटा दें और गाय को खिला दें या फिर बच्चों को बांट दें। अगर भोग की मात्रा अधिक हो तो इसे किसी भिक्षुक को भी दे सकते हैं।