Sawan 5th Somwar 2023: 7 अगस्त को सावन का पांचवां सोमवार, बनेगी शुक्र-सूर्य की युति, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

Published : Aug 07, 2023, 06:00 AM IST

Sawan 5th Somwar 2023: इन दिनों सावन का अधिक मास चल रहा है, जिसके चलते सावन सोमवार की संख्या बढ़कर 8 हो गई है, इनमें से 4 सोमवार निकल चुके हैं और पांचवां सोमवार 7 अगस्त को है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। 

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सावन सोमवार का महत्व

इस बार सावन का पांचवा सोमवार 7 अगस्त को है। इस दिन शुक्र ग्रह सिंह से निकलकर कर्क में प्रवेश करेगा, जहां सूर्य के साथ इसकी युति बनेगी। इस दिन सूर्योदय सर्वार्थसिद्धि योग में होगा, जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, सावन सोमवार (Sawan 5th Somwar 2023) पर शिवजी की पूजा करने से हर तरह की परेशानी दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए सावन सोमवार की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा व अन्य बातें…

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ये हैं शुभ मुहूर्त (Sawan 5th Somwar 2023 Shubh Yog)

- सुबह 06:03 से 07:41 तक
- सुबह 09:18 से 10:55 तक
- दोपहर 12:06 से 12:58 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 02:09 से 03:47 तक
- शाम 05:24 से 07:01 तक

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सावन सोमवार शिव पूजा की विधि (Shiv Puja Vidhi on Sawan Somwar)

7 अगस्त, सोमवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में पूजा शुभ करें। सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, फिर दूध और इसके बाद पुन: एक बार शुद्ध जल चढ़ाएं। शिवलिंग के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। गंध, रोली, मौली, जनेऊ, शहद, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाएं। इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। अंत में भोग लगाएं और आरती करें। इस तरह शिवजी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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