शनि प्रदोष की कथा के अनुसार, प्राचीन समय में किसी शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण वह दुखी था। एक बार उसने पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर जाने का विचार किया। जब वह तीर्थ यात्रा पर जा रहा था तो रास्ते में उसे उसे महात्मा दिखाई दिए। उनका आशीर्वाद लेने के लिए वह सेठ वहीं रुक गया। जब महात्मा का ध्यान भंग हुआ तो उन्होंने सामने सेठ-सेठानी को बैठा हुआ पाया। उसे देखकर संत को उनकी समस्या पता चल गई। संत ने उन दोनों को शनि प्रदोष का व्रत करने को कहा। सेठ-सेठानी ने शनि प्रदोष का व्रत किया, जिससे शुभ प्रभाव से उनके घर में एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया।
ये भी पढ़ें-
Sawan Shivratri 2023: क्या है महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में अंतर, क्या जानते हैं आप?
Sawan Shivratri 2023: ये मंत्र बोलकर करें सावन शिवरात्रि का व्रत-पूजा, जानें पूजन सामग्री की लिस्ट, शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती
इस शिव मंदिर में मारे गए थे हजारों बेगुनाह, इसके रहस्य आज भी ‘अनसुलझे’
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।