धर्म ग्रंथों में 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है। इनमें से पहला है सोमनाथ। ये गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। इसके कुछ रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। यहां रोज हजारों भक्त आते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। इसी स्थान पर चंद्रमा को दक्ष द्वारा दिए गए श्राप से भगवान शिव ने मुक्त किया था।
सोमनाथ मंदिर शुरू से ही विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर रहा, जिसके चलते इसे 17 बार तोड़ा गया। हर बार हिंदू राजाओं द्वारा इसका पुनर्निमाण करवा दिया गया।
इतिहासकारों के अनुसार, सोमनाथ मंदिर का निर्माण 7वीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने करवाया, जिसे 8वीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने तुड़वा दिया था।
1026 में महमूद गजनवी ने जब सोमनाथ मंदिर पर हमला किया तो उसने 3 दिन तक यहां लूटपाट की। इस दौरान उसने लगभग 50 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
आजादी के बाद सौराष्ट्र के राजा दिग्विजय सिंह ने नए सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। 11 मई, 1951 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ज्योतिर्लिंग स्थापित कराया।
पिछले दिनों ऑर्कियोलॉजिकल एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि सोमनाथ मंदिर के नीचे तीन मंजिला इमारत है, जिसका आकार L शेप में है। इसे क्यों बनवाया गया होगा, इस पर रिसर्च जारी है।