11 जुलाई को मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। इस दिन शक्तिपीठ के दर्शन करना शुभ माना जाता है। इस मौके पर कीजिए उज्जैन स्थित हरसिद्धि माता शक्तिपीठ के 10 रूपों के दर्शन…
उज्जैन स्थित हरसिद्धि माता मंदिर देवी को 52 शक्तिपीठों में से एक है। ये महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
शक्तिपीठ उन दैवीय स्थानों को कहा जाता है, जहां देवी के अंग गिरे थे। ग्रंथों में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। इनमें से 1 अज्ञात है। शेष भारत और आस-पास के देशों में स्थित हैं।
उज्जैन का हरसिद्धि शक्तिपीठ मंदिर काफी प्राचीन है। मान्यता है कि यहां देवी सती की कोहनी गिरी थी। यहां की कई परंपराएं और मान्यताएं इस मंदिर को खास बनाती हैं।
देवी हरसिद्धि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं। कहते हैं राजा विक्रमादित्य ने देवी को खुश करने के लिए कई बार अपने मस्तक काटकर यहां चढ़ा दिए थे।
हरसिद्धि शक्तिपीठ में कभी भैंसों की बलि देने की परंपरा था। इससे संबंधित आलेख मंदिर परिसर में लगा है। कालांतर में ये परंपरा बंद की गई।
हरसिद्धि मंदिर प्रांगण में दो दीप स्तंभ हैं जो लगभग 50 फीट ऊंचे हैं। इनमें हजारों दीपक हैं। नवरात्रि व अन्य खास मौकों पर इन दीपकों को जलाया जाता है। ये दृश्य देखने लायक होता है।
हरसिद्धि मंदिर गर्भगृह की छत पर श्रीयंत्र बनाया गया है। ये यंत्र साक्षात देवी का ही स्वरूप माना जाता है। हरसिद्धि मंदिर तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए भी प्रसिद्ध है।