आचार्य चाणक्य की नीति कहती है कि…
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।
श्लोक का अर्थ ये है कि विवाह के लिए कन्या का चुनाव करते समय उसके गुणों, कुल, धार्मिक आस्था और धैर्य के बारे में जरूर विचार करना चाहिए।
विवाह के लिए लड़की देखने जाएं तो उसके गुणों पर भी ध्यान दें न कि सिर्फ उसकी सुंदरता पर। सुंदरता के चक्कर में गुणों को दरकिनार न करें, नहीं तो बाद पछताना पड़ सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लड़की का परिवार भले ही गरीब हो, लेकिन समाज में उनका मान-सम्मान जरूर होना चाहिए। ऐसे परिवार की लड़की ही परिवार को साथ लेकर चलती है।
जिस लड़की को आप विवाह के लिए चुनें, उसमें धर्म के प्रति आस्था जरूर होनी चाहिए इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें। ऐसी लड़की ही घर में धार्मिक माहौल बनाए रखती हैं।
धैर्यवान से अर्थ है सोच-समझकर बोलने और व्यवहार करने वाली। जिन लड़कियों में ऐसा गुण होता है, वे अपने परिवार के बारे पहले सोचती हैं। इनसे दोनों परिवारों का नाम रौशन होता है।