12 ज्योतिर्लिंगों में महाकाल का स्थान तीसरा है। ये मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में स्थित है।
12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में महाकाल एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। दक्षिणमुखी होने के कारण ही इसका तांत्रिक महत्व भी है।
सभी ज्योतिर्लिगों में से सिर्फ महाकाल में ही रोज सुबह भस्मारती की जाती है। कहते हैं पहले भस्मारती के लिए मुर्दे की भस्म का उपयोग किया जाता था।
बाबा महाकाल को उज्जैन का राजा कहा जाता है। यहां के लोग भी भगवान महाकाल को अपना राजा इनकी पूजा करते हैं।
हर साल सावन मास के प्रत्येक सोमवार को बाबा महाकाल की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर सवारी निकाली जाती है।
सवारी निकालने की परंपरा काफी पुरानी है। मान्यता है कि राजा महाकाल पालकी में बैठकर अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकलते हैं।
भादौ मास के दूसरे सोमवार को भगवान महाकाल की अंतिम सवारी निकलती है, जिसे शाही सवारी भी कहते हैं। इसे देखने के लिए लाखों भक्त यहां आते हैं।
महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में ज्योतिर्लिंग के ऊपर छत पर चांदी से निर्मित रुद्र यंत्र स्थापित है। ऐसा यंत्र अन्य किसी ज्योतिर्लिंग में नहीं है।
सावन के अलावा कार्तिक मास में भी प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। इसमें भी बड़ी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करते हैं।