सावन में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का महत्व है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों से कईं परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इनके दर्शन मात्र से कई सुख प्राप्त हो जाते हैं। ये हैं वो 12 ज्योतिर्लिंग…
ज्योतिर्लिगों में पहला सोमनाथ है। ये गुजरात के सौराष्ट्र में है। इसकी स्थापना चंद्रदेव ने की है। विदेशी लुटेरों ने इसे 17 बार नष्ट किया, लेकिन इसका वैभव आज भी जस का तस बना हुआ है।
यह आन्ध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। प्रत्येक अमावस पर शिवजी और पूर्णिमा पर देवी पार्वती यहां आते हैं।
ये मध्य प्रदेश के उज्जैन में है। 12 में से ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। इनके दर्शन से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।
ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर के निकट नर्मदा के तट पर है। यहां पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से ऊं का आकार बनता है। धन के देवता कुबेर ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की है।
ये महाराष्ट्र के पूणे जिले में है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और स्वर्ग प्राप्त होता है। शिवजी ने यहीं कुंभकर्ण के पुत्र भीम का वध किया था।
ये महाराष्ट्र के औरंगाबाद में है। घुश्मा नाम की भक्त के अनुरोध पर शिवजी यहां ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। मुगलों द्वारा नष्ट किए जाने के बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
ये उत्तर प्रदेश के काशी में है। मान्यता है कि इस स्थान की रक्षा स्वयं महादेव करते हैं। प्रलय आने पर भी ये स्थान सुरक्षित रहेगा। यहां खेली जाने वाली मसान होली काफी प्रसिद्ध है।
ये उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग में है। इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन स्कंद व शिवपुराण में मिलता है। इसकी कथा पांडवों से संबंधित है। पांडवों ने यहां आकर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया था।
ये गुजरात के द्वारिका में है। यहां शिवजी ने दारुका नामक राक्षस का वध किया था और शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। मंदिर में स्थापित विशाल शिव प्रतिमा 3 किमी दूर से ही दिखाती है।
ये तमिलनाडु के रामनाथपुरं में है। ये स्थान चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना श्रीराम ने की थी। श्रीराम द्वारा स्थापित होने के कारण ही इसे रामेश्वरम कहते हैं।
ये महाराष्ट्र के नासिक में है। शिवजी को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा। इस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु, शिव तीनों का वास माना जाता है।
ये झारखंड के देवघर जिले में है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना रावण ने की थी। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभीकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए इसे कामना लिंग भी कहते हैं।