कावड़ यात्रा से जुड़े कई नियम हैं। जिनका पालन करना सभी कावड़ यात्रियों के लिए अनिवार्य होता है। इनमें से कुछ नियम तो बहुत ही कठिन हैं। आगे जानिए कावड़ यात्रा के इन नियमों के बारे में…
कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नशा करना वर्जित रहता है जैसे भांग, गांजा आदि। इस नियम का पालन पूरी सख्ती से किया जाता है।
कावड़ यात्रा के दौरान भक्त सिर्फ सात्विक भोजन ही करते हैं। तामसिक भोजन यानी मांस, अंडा के साथ-साथ लहसुन-प्याज भी नहीं खाया जाता।
यात्रा के दौरान भक्त कांवड को नीचे नहीं रख सकते। ऐसे किसी ऐसे स्थान पर रखा जाता है, जहां से इसका जमीन पर स्पर्श न हो।
कावड़ यात्री अपनी यात्रा के दौरान तेल, साबुन, कंघी आदि का उपयोग नहीं कर सकता। सिर्फ इतना ही नहीं शेविंग भी नहीं की जाती।
कावड़ यात्रियों के लिए चारपाई पर बैठना एवं किसी भी वाहन पर चढ़ना भी मना है। यानी सिर्फ पैदल चलते हुए भी यात्रा समाप्त करनी पड़ती है।
कावड़ यात्री अपनी कावड़ किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं दे सकते। जो व्यक्ति कावड़ लेकर यात्रा शुरू करता है, उसे ही यात्रा पूरी भी करनी पड़ती है।
शौच आदि करने के बाद पहले स्नान करना जरूरी होता है, इसके बाद ही कावड़ को हाथ लगा सकते हैं। यानी अशुद्ध अवस्था में कावड़ को स्पर्श नहीं कर सकते।