हिंदू साहित्य में नीलावंती ग्रंथ का वर्णन मिलता है, लेकिन अब ये ग्रंथ किसी भी रूप में मौजूद नहीं है। इसके बारे में कहा जाता है कि जिसने भी इसे पढ़ा वो या तो मर गया या पागल हो गया।
मान्यता है कि ये ग्रंथ एक नीलावंती नाम की एक लड़की ने लिखा था जो एक यक्षिणी (देवी) थी। इस ग्रंथ में पशु-पक्षियों की बोली में छिपे रहस्य और तंत्र-मंत्र के उपाय बताए गए थे।
नीलावंती पेड़-पौधों, जानवरों और पशु पक्षियों सब की भाषा समझती थी। उन्हीं की बातों को नीलावंती ने एक किताब में लिखा। इस ग्रंथ में जमीन के छिपे खजाने के राज भी बताए गए थे।
नीलावंती ग्रंथ के बारे में कहते हैं सरकार ने इसे बैन कर दिया था, लेकिन इसकी पुष्टि कहीं नहीं है। इंटरनेट पर इसके कुछ अंश आज भी मौजूद हैं लेकिन उनके असली होने पर संशय है।
इस ग्रंथ के बारे में कहा जाता है कि नीलावंती में जब इसे लिखा तो इसे श्रापित भी कर दिया ताकि कोई इसका फायदा न उठा सके। और भी कई बातें इस ग्रंथ को लेकर कही जाती हैं।
नीलावंती ग्रंथ को कुछ लोग झूठ समझते हैं तो कुछ सच। हालांकि इंटरनेट पर इससे संबंधित कई बातें बताई गई हैं जो इसकी सत्यता को प्रमाणित करती हैं।