धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासङ्ग्रहणेषु च ।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत॥
अर्थ- धन, विद्या और भोजन के मामलों में शर्म का त्याग कर देना चाहिए।
अगर आपने किसी को पैसा उधार दिया तो वापस मांगते समय शर्माएं नहीं। अगर आप ऐसा करते हैं निश्चित रूप से आपको धन हानि का सामना करना पड़ सकता है।
भोजन करने में भी शर्म नहीं करनी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको कई बार भूखा ही रहना पड़ सकता है। इसलिए भोजन करते समय कभी भी शर्म न करें
गुरु के ज्ञान लेते समय बिल्कुल न शर्माएं। जो भी आपकी जिज्ञासा है, उसे तुरंत गुरु से पूछ लें। अगर आप शर्म के कारण ऐसा नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से आपकी हानि होगी।