
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Kamika Ekadashi 2023) तिथि को कामिका एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। इस बार कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई, गुरुवार को है। महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने नारदजी को कामिका एकादशी का महत्व बताते हुए कहा था कि जो मनुष्य कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करता है, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। आगे जानिए कामिका एकादशी पर कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे, पूजा विधि आदि खास बातें…
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 12 जुलाई, बुधवार की शाम 05:59 से शुरू होकर 13 जुलाई, गुरुवार की रात 06:25 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 13 जुलाई को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। व्रत का पारणा अगले दिन यानी 14 जुलाई, शुक्रवार को किया जाएगा। 13 जुलाई को पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे…
- सुबह 10:52 से दोपहर 12:32 तक
- दोपहर 12:32 से 02:12 तक
- दोपहर 02:12 से 03:52 तक
- शाम 05:32 से 07:11 तक
- 13 जुलाई, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर पूजा-व्रत का संकल्प लें।
- ऊपर बताए गए किसी एक मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर पूजा की चौकी स्थापित करें और इसके ऊपर भगवान विष्णु का चित्र रखें।
- सबसे पहले भगवान को फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और कुमकुम से तिलक करें।
- इसके बाद भगवान को अबीर, गुलाल, इत्र, चावल, जौ तथा फूल अर्पित करें। मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, उसमें तुलसी दल अवश्य रखें।
- इस तरह पूजा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। अंत में आरती उतारें और प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- इस दिन सात्विक आचरण करें। किसी पर गुस्सा न करें। रात्रि जागरण करें और भगवान के मंत्रों का जाप करें।
- अगले दिन यानी 14 जुलाई, शुक्रवार को ब्राह्मणों को भोजन करवाएं, दान-दक्षिणा दें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
कामिका एकादशी का व्रत करने से हीन योनियों से मुक्ति मिलती है। कामिका एकादशी की रात विष्णुजी के मंदिर में दीपक जलाने से पितरों को स्वर्ग मिलता है, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। कामिका एकादशी के व्रत का महात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।
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