- शनि प्रदोष के दिन यानी 4 मार्च की सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपटने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- जैसा व्रत आप करना चाहें, उसी के अनुसार, संकल्प लें, जैसे दिन भर बिना कुछ खाए व्रत करना चाहें तो वैसा और एक समय फलाहार करना चाहें तो वैसा।
- प्रदोष व्रत का पालन करते हुए दिन भर सात्विक रूप से रहें। किसी के प्रति मन में बुरा भाव न लाएं और न ही किसी को कोई अपशब्द बोलें।
- शाम को ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में शिवजी की पूजा करें। पहले शिवलिंग का अभिषेक शुद्ध जल से करें, फिर पंचामृत से और दोबारा शुद्ध जल चढ़ाएं।
- इसके बाद शुद्ध घी का दीपक लगाएं। एक-एक करके शिवजी को बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल आदि चीजें चढ़ाएं। ऊं नम: शिवाय का जाप भी करते रहें।
- शिवजी को सत्तू का भोग लगाएं और 8 दीपक अलग-अलग दिशाओं में लगाएं। सबसे अंत में आरती करें। इस तरह पूजा करने से आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है।