Shiv Chaturdashi 2023:इस बार शिव चतुर्दशी का व्रत 20 मार्च, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इसे मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं। इस व्रत का महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए प्रत्येक महीने में आने वाली चतुर्दशी तिथि को शिव चतुर्दशी व्रत (Shiv Chaturdashi March 2023) किया जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं। इस बार चैत्र कृष्ण चतुर्दशी तिथि 20 मार्च, सोमवार को है, इसलिए इस दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए शिव चतुर्दशी व्रत की विधि, मुहूर्त और महत्व…
जानिए चतुर्दशी तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त (Shiv Chaturdashi Puja Vidhi)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 20 मार्च, सोमवार की सुबह 04:55 से रात 01:47 तक रहेगी। चूंकि इस व्रत में पूजा रात में की जाती है, इसलिए चतुर्दशी की पूजा 20 मार्च, सोमवार की रात को करना ही श्रेष्ठ रहेगा। सोमवार को पहले शतभिषा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग बनेगा। इनके अलावा साध्य और शुभ नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। सोमवार को शिव चतुर्दशी व्रत होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
इस विधि से करें शिव चतुर्दशी की पूजा विधि
- 20 मार्च, सोमवार की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर सात्विक रूप सें रहें, यानी किसी से कोई विवाद न करें। मन ही मन शिवजी का ध्यान करते रहें।
- इस व्रत में रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा का विधान है। पूजा में शिवजी ये चीजें चढ़ाई जाती हैं- फूल, फल, देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप आदि।
- रात्रि का पहला प्रहर शुरू होते ही शिवजी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले दीपक जलाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद एक-एक करके सभी चीजें शिवजी को चढ़ाते रहें। इस प्रकार अन्य प्रहर में भी शिवजी की पूजा करें।
- अंतिम प्रहर की पूजा करने के बाद शिवजी की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस विधि से शिवजी की पूजा करें। इससे आपकी जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं। इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
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