Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: शिवजी की आरती ओम शिव ओंकारा

Published : Jul 12, 2025, 09:27 AM IST
shiv ji ki aarti lyrics in hindi

सार

Shiv Ji Ki Aarti: सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। पूजन के बाद आरती करने की परंपरा भी हिंदू धर्म में है। भगवान शिव की कईं आरतियां प्रचलित हैं, लेकिन इनमें ओम शिव ओंकारा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। 

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना सावन 11 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 9 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। शिवजी की पूजा के बाद आरती भी जरूर करनी चाहिए। आरती के बिना पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती। वैसे तो भगवान शिव की कईं आरतियां प्रचलित हैं, लेकिन इन सभी में ओम शिव ओंकारा सबसे ज्यादा गाई जाती है। आरती से पहले शिवजी की पूजा भी जरूर करें। आगे जानिए शिव पूजा की सरल विधि…

शिव पूजा की सरल विधि (Shiv Ji Ki Puja Vidhi)

- सबसे पहले शिवलिंग का साफ जल से अभिषेक करें। इसके बाद गाय के दूध से और एक बार फिर से साफ जल से अभिषेक करें।
- इसके बाद शिवजी को धतूरा, बिल्व पत्र, आंकड़ा, फूल, चावल, अबीर-गुलाल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान मन ही मन ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप भी करते रहें। शिवजी को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं।
- भोग लगाने के बाद घर-परिवार के लोग साथ मिलकर भगवान शिव की विधि-विधान से आरती करें। इससे आपको शुभ फल मिलेंगे।

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। (Shiv Ji Ki Aarti Om Jai Shiv Omkara Lyrics in Hindi)

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत, त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु, चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता, जगसंहारकर्ता॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये, ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरती, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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