Somvati Amavasya 2024: 8 अप्रैल को करें सोमवती अमावस्या का व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा और महत्व

Somvati Amavasya 2024 Puja Vidhi: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। जब अमावस्या तिथि सोमवार को होती है ये इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इसका महत्व सबसे अधिक माना गया है। साल 2024 की पहली सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को है।

 

Manish Meharele | Published : Apr 7, 2024 11:02 AM IST

Somvati Amavasya 2024 Shubh Muhurat: पंचांग के अनुसार, 8 अप्रैल, सोमवार को चैत्र मास की अमावस्या तिथि दिन रहेगी। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। साल में 1-2 बार ही सोमवती अमावस्या का संयोग बनता है, इसलिए धर्म ग्रंथों में इसका विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य ग्रहण भी होगा, लेकिन ये भारत में दिखाई नहीं देगा। आगे जानें सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा सहित पूरी डिटेल

सोमवती अमावस्या 2024 शुभ योग-मुहूर्त (Somvati Amavasya 2024 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल, सोमवार को पूरे दिन रहेगी। चैत्र मास की अमावस्या होने से ये भूतड़ी अमावस्या भी कहलाएगी। इस दिन इंद्र, गद और मातंग नाम के शुभ योग दिन भर रहेंगे, जिससे इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाएगा। सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 06:16 से 07:49 तक (स्नान के लिए)
- सुबह 09:22 से 10:55 तक
- दोपहर 14:01 से 03:34 तक
- शाम 05:08 से 06:41 तक

इस विधि से करें सोमवती अमावस्या की पूजा (Somvati Amavasya 2024 Puja Vidhi)
- सोमवती अमावस्या पर शिवजी की पूजा का विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में घर में या किसी शिव मंदिर में पूजा आरंभ करें। सबसे पहले शिवजी के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- कुमकुम से तिलक करें और हार-फूल चढ़ाएं। शिवजी को बिल्वपत्र भांग, धतूरा, सफेद फूल और फल आदि चीजें एक-एक करके अर्पित करें।
- पूजा के दौरान ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। भगवान को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें।
- अगर व्रत करना चाहते हैं तो एक समय भोजन या फलाहार कर सकते हैं। सोमवती अमावस्या व्रत से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ये है सोमवती अमावस्या की कथा (Somwati Amawasya Ki Katha)
- किसी शहर में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। उनकी एक सुंदर पुत्री थी। एक दिन उनके घर में एक महात्मा आए। उन्होंने लड़की का हाथ देखकर बोला कि ‘इस कन्या के हाथ में तो विवाह की रेखा ही नहीं है।’
- महात्मा की बात सुनकर माता-पिता ने इसका उपाय पूछा। महात्मा ने उन्हें बताया कि ‘यहां से थोड़ी दूर सोना नाम की एक धोबिन रहती है, यदि आपकी पुत्री उसको प्रसन्न कर ले और उसकी मांग का सिंदूर प्राप्त कर ले तो इसका विवाह संभव है।’
- अगले ही दिन ब्राह्मण कन्या सोना धोबिन के घर पहुंच गई। कुछ दिनों तक ब्राह्मण कन्या ने सोना धोबिन की खूब सेवा की। खुश होकर एक दिन सोना धोबिन ने उसकी मनोकामना पूछी।
- ब्राह्मण कन्या ने पूरी बात धोबिन को बता दी। उस दिन ब्राह्मण कन्या के साथ सोना धोबिन उसके घर आई और अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगा दिया। ऐसा करने से उसकी पति की मृत्यु हो गई।
- जब सोना धोबिन अपने घर जा रही थी तो उसे पति की मृत्यु का पता चला। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। सोना धोबिन ने रास्ते में ही सोमवती अमावस्या का व्रत पूर्ण किया, जिससे उसका पति दोबारा जीवित हो गया।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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