
Upang Lalita Vrat 2025 Date Muhurat: देवी पुराण में 10 महाविद्याओं के बारे में बताया गया है। इन 10 महाविद्याओं में से एक है देवी ललिता। इनका निवास भगवान शिव के ह्रदय में माना गया है। इन्हें लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, ललितागौरी तथा राजराजेश्वरी भी कहते हैं। देवी ललिता ही प्रलय के बाद पुन: सृष्टि का निर्माण करती हैं। शारदीय नवरात्रि की पचंमी तिथि पर देवी स्कंदमाता के साथ देवी ललिता की पूजा भी की जाती है। इसे उपांग ललिता व्रत और ललिता पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस बार ये व्रत 26 सितंबर, शुक्रवार को किया जाएगा। आगे जानिए उपांग ललित व्रत कैसे करें व अन्य जरूर बातें…
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सुबह 06:20 से 07:50 तक
सुबह 07:50 से 09:19 तक
दोपहर 11:54 से 12:41 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:18 से 01:47 तक
शाम 04:46 से 06:15 तक
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26 सितंबर, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। देवी ललिता का चित्र या प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। चित्र पर तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। देवी को लाल वस्त्र, चंदन, रोली, अबीर, गुलाल, चावल, फूल, हल्दी, मेहंदी व अन्य चीजें चढ़ाएं। देवी ललिता को कमल का फूल विशेष तौर पर चढ़ाया जाता है। देवी को पीली या लाल मिठाई का भोग लगाएं और मौसमी फल भी अर्पित करें। आरती करने के बाद प्रसाद भक्तों में बांट दें।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी । राजेश्वरी जय नमो नमः॥
करुणामयी सकल अघ हारिणी । अमृत वर्षिणी नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः । श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥
अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी। खल-दल नाशिनी नमो नमः॥
भण्डासुर वधकारिणी जय माँ। करुणा कलिते नमो नम:॥
जय शरणं वरणं नमो नमः। श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥
भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी। शरण गति दो नमो नमः॥
शिव भामिनी साधक मन हारिणी। आदि शक्ति जय नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः। जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः॥
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी। राजेश्वरी जय नमो नमः॥
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।