Vasant Panchami 2023: खास काम के लिए घर निकलें तो करें देवी सरस्वती की इस स्तुति का पाठ, सफलता जरूर मिलेगी

Vasant Panchami 2023: इस बार 26 जनवरी, गुरुवार को वसंत पंचमी है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। देवी की उपासना के लिए अनेक मंत्र और स्तुतियों की रचना की गई है, विश्वविजय सरस्वती कवच भी इनमें से एक है।

 

Manish Meharele | Published : Jan 25, 2023 11:21 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, अनेक ऋषि-मुनियों ने देवी सरस्वती की पूजा की मनचाही सिद्धियां प्राप्त की। देवी को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मवैवर्त पुराण में एक विशेष स्तुति के बारे में बताया है, इसे विश्वविजय सरस्वती कवच कहते हैं। इसी स्तुति का पाठकर महर्षि वेदव्यास, ऋष्यश्रृंग, भरद्वाज, देवल तथा अन्य ऋषियों ने सिद्धि पाई थी। इस स्तुति का पाठ यदि रोज विधि-विधान से किया जाए तो जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है। वसंत पंचमी (26 जनवरी, गुरुवार) के मौके पर हम आपको इसी विश्वविजय सरस्वती कवच के बारे में बता रहे हैं…

विश्वविजय सरस्वती कवच (Vishwavijay Saraswati Kavach)
श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वत:।
श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदावतु।।
ऊं सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्र पातु निरन्तरम्।
ऊं श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदावतु।।
ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोवतु।
ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा ओष्ठं सदावतु।।
ऊं श्रीं ह्रीं ब्राह्मयै स्वाहेति दन्तपंक्ती: सदावतु।
ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदावतु।।
ऊं श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदावतु।
श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्ष: सदावतु।।
ऊं ह्रीं विद्यास्वरुपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम्।
ऊं ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदावतु।।
ऊं सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदावतु।
ऊं रागधिष्ठातृदेव्यै सर्वांगं मे सदावतु।।
ऊं सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्राच्यां सदावतु।
ऊं ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाग्निदिशि रक्षतु।।
ऊं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।
सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदावतु।।
ऊं ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैर्ऋत्यां मे सदावतु।
कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु।।
ऊं सदाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदावतु।
ऊं गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेवतु।।
ऊं सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदावतु।
ऊं ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोध्र्वं सदावतु।।
ऐं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाधो मां सदावतु।
ऊं ग्रन्थबीजरुपायै स्वाहा मां सर्वतोवतु।।
(ब्र. वै. पु. प्रकृतिखंड 4/73-85)


इस विधि से करें पाठ
1. विश्वविजय सरस्वती कवच का पाठ प्रतिदिन सुबह करना चाहिए। इसके पहले स्नान आदि कर शुद्ध होना चाहिए। संभव हो तो सफेद वस्त्र पहनकर ही इसका पाठ करें
2. पाठ शुरू करने से पहले देवी सरस्वती के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जरूर लाएं। चित्र न हो तो किसी साफ स्थान पर दीपक जलाकर भी इसका पाठ कर सकते हैं।
3. पाठ करने का समय, स्थान और आसन एक ही हो तो और भी जल्दी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। महिलाएं भी इस कवच का पाठ कर सकती हैं।
4. पाठ करते समय मन को शांत रखें और सिर्फ देवी सरस्वती का ध्यान करते रहें। इसके प्रभाव से कुछ ही दिनों में आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
5. जब भी किसी खास काम के लिए घर से निकलें तो एक बार इस स्तुति का पाठ जरूर करें। इससे आपको सफलता जरूर मिलेगी।


 

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