Vasant Panchami 2023: वसंत पंचमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये उत्सव देवी सरस्वती के प्राकट्य की खुशी में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 जनवरी, गुरुवार को है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
उज्जैन. माघ मास की गुप्त नवरात्रि बहुत ही खास मानी गई है क्योंकि इसकी पंचमी तिथि को देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसी खुशी में हर साल वसंत पंचमी (Vasant Panchami 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 जनवरी, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है, जो पिछले कई सौ सालों में नहीं बनी। साथ ही कई शुभ योग भी बन रहे हैं। आगे जानिए वसंत पंचमी पर बनने वाले शुभ योगों के बारे में…
पंच महायोग में मनेगा वसंत पंचमी पर्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, 25 जनवरी को चंद्रमा कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेगा। इस राशि में पहले से ही गुरु स्थित है। गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी नाम का राजयोग वसंत पंचमी पर बनेगा। इसके अलावा वरिष्ठ, हर्ष, शुभकर्तरी और शिव नाम के 4 अन्य महायोग भी इस दिन बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र की मानें तो सन् 1600 से अब तक ये पांच योग एक साथ नहीं बनें। यानी 400 साल के बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है।
ये ग्रह भी बना रहे शुभ संयोग
वसंत पंचमी पर पीले रंग के फूलों से देवी सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। साथ ही पीले वस्त्र चढ़ाएं जाते हैं और केसरिया भात का भोग लगाया जाता है। देवी सरस्वती की पूजा में पीले रंग का उपयोग शुभ फल देने वाला माना गया है। पीला रंग गुरु ग्रह से संबंधित है। इस समय गुरु ग्रह अपनी स्वयं की राशि मीन में है। गुरु ग्रह की ये स्थिति शुभ फल देने वाली है। गुरु की इस स्थिति से शिक्षा, आध्यात्म और धर्म व संस्कृति के क्षेत्र में सुधार होगा।
30 साल बाद शनि कुंभ राशि में
17 जनवरी को शनि ग्रह मकर से निकलकर कुंभ राशि में आया है। ये शनि की स्वयं की राशि है। शनि ढाई साल तक एक राशि में रहता है, इस तरह शनि को सभी राशियों में भ्रमण करने में 30 साल का समय लगता है। यानी इस समय शनि 30 साल बाद अपनी स्वराशि कुंभ में आया है। शनि की ये स्थिति भी शुभ फल देने वाली है।
15 मार्च से शुरू होगी वसंत ऋतु
आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि वसंत ऋतु का आरंभ वसंत पंचमी से हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। वसंत पंचमी देवी सरस्वती के प्रकट होने का पर्व है जबकि वसंत ऋतु की शुरूआत हर साल 15 मार्च से होती है। माघ मास की पंचमी तिथि पर जब देवी सरस्वती प्रकट हुई. तब सभी देवताओं ने उनकी आराधना की, जिसे बसंत राग कहा गया। इसलिए देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
ये भी पढ़ें-
Vasant Panchami 2023: देवी सरस्वती के 5 प्राचीन मंदिर, कोई है पीओके में तो कोई भारत-चीन सीमा पर
February 2023 Festival Calendar: फरवरी 2023 में 11 दिन रहेंगे व्रत-त्योहार, यहां जानें पूरी लिस्ट
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।