Vinayaki Chaturthi June 2023: 22 जून को अमृत योग में करें विनायकी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि और मंत्र

Published : Jun 22, 2023, 08:08 AM IST
Vinayki Chaturthi June 2023

सार

Vinayaki Chaturthi June 2023: इस बार विनायकी चतुर्थी का व्रत 22 जून, गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीगणेश और चंद्रमा की पूजा का विधान है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक तिथि के एक प्रमुख देवता होते हैं। उस तिथि पर उन देवता की पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है। इसी क्रम में चतुर्थी तिथि के देवता भगवान श्रीगणेश को माना गया है। (Vinayaki Chaturthi June 2023) प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये व्रत 22 जून, गुरुवार को किया जाएगा। आगे जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त (Vinayaki Chaturthi June 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जून, बुधवार की दोपहर 03:10 से शुरू होकर 22 जून, गुरुवार की शाम 05:28 तक रहेगी। उदया तिथि 22 जून होने से इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन आश्लेषा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा हर्षण नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा।

इस विधि से करें विनायकी चतुर्थी का व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi June 2023 Puja Vidhi)
22 जून, गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर संयमपूर्वक रहते हुए व्रत का नियमों का पालन करें। शाम को घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। श्रीगणेश की प्रतिमा को माला पहनाएं और तिलक लगाएं। इसके बाद पूजन सामग्री जैसे दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। इस दौरान ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। अंत में अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें। इसके बाद जब चंद्रमा उदय हो जाए तो जल से अर्ध्य देने के बाद स्वयं भोजन करें।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥



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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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