
Vishwakarma Bhagwan Ke Bhajan Lyrics In Hindi: हर साल आश्विन मास में विश्वकर्मा पूजा का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम और श्रद्धा साथ मनाया जाता है। इस दिन सृष्टि की रचना करने वाले भगवान विश्वकर्मा की उपासना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्माजी के कहने पर भगवान विश्वकर्मा ने ही पूरी सृष्टि का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पी यानी इंजीनियर भी कहा जाता है। विश्वकर्मा पूजा के मौके पर पढ़ें उनके प्रसिद्ध भजन…
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विश्वकर्मा, विश्वकर्मा,
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये कल कारखाने ये मज़दूर मिले,
ये छैनी हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये टाटा और टेल्को ये मज़दूर मिले,
ये छैनीं हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये अद्भुत हुनर कारीगर भी ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये विज्ञान का ज्ञान दुनिया से जुड़ना,
जहाजों का उड़ना ईशारो से मुड़ना,
चमत्कार ये दुनिया भर में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये बिल्डिंगे ये इमारत ये बाइक ये कारें,
नई सभ्यता के ये सुन्दर नजारे,
सुशोभित हमारे घरों में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।
है अद्भुत बहुत ‘बेधड़क’ इनके अंशज,
कला में निपूर्ण विश्वकर्मा के वंशज,
ऐ ‘लक्खा’ ये शर्मा ये वर्मा ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते ॥
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जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की
आओ उत्सव मनाये देव महान की
सारी दुनिया को जिस ने सजाया है
मौका उनको सजाने का आया है,
जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की..…
कला का कोश्ल दिखाने वाले ऊँगली से दुनिया चलाने वाले
ऐसा इंजीनयर कोई देखा न दूजा आज करे गे हम इनकी ही पूजा
जिसने सोना का लंका बनाया है मौका उनको सजाने का आया है
जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की
युवा में चाह जगाने वाले इंसान को राह दिखाने वाले,
देवो में है ये देव सरोतम कर रही गुणगान खुशबु उतम
जिसने देवो का स्वर्ग सजाया है मौका उनको सजाने का आया है
जय बोलो विश्वकर्मा भगवान की
दोहा – रचना रा हो राजवी,
करणी रा किरतार,
शिल्प सवायो आपरो,
श्री विश्वकर्मा दातार।
विश्वकर्मा महाराज म्हारा,
सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
मात भोवना री गर्भ में आया,
माघ सुदी तेरस ने जी,
मात पिता मन हर्षाया,
सखीया मंगला गाया जी,
सुवास करे गुलाल।
आंगन गूंज रयी किलकार,
छायो हिवडे हरख अपार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
सतयुग में थे स्वर्ग बनायो,
देव आसरो पायो जी,
देवादल आनंद उर छायो,
गुण थारो जद गायो जी,
सुन्दर रचना करी सकार,
वास्तु रचना करी अपार,
थारो गुडा मालानी दरबार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
त्रेतायुग मे लंका बनायी,
वैभव जग में पायो जी,
कार सोवनी ईट लगाई,
कंचन हेम लगायो जी,
दीनो रावण ने अधिकार,
थाको लंका रे दरबार,
आवो सायेला दरबार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
द्वापरयुग मे द्वारिका बनायी,
कृष्ण जी रे मन भायी जी,
दावु द्वारिका घणी सरायी,
यादव वास बसायो जी,
थे हो इनरा रचनाकार,
बनायी सागर री किनार,
दर्शन आवे नर नार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
इन्द्रप्रस्थ ने आप बनाया,
सुदामा पूरी बनायी जी,
दुख दलिन्दर आप मिटाया,
लीला अजब रचायी जी,
ईलाचल दरबार कर रया,
सुर नर मुनी जयकार,
वंदन करता बारम्बार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
जो जन कोई निर्माण करावे,
सबसे पहले मनावा जी,
सुख समृद्धि सो नर पावे,
वास्तु दोष मिटावे जी,
‘श्याम’ करे अरदास,
थाने सिवरे बारम्बार,
करजो भगता रो बेडो पार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
विश्वकर्मां महाराज म्हारा,
सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥