Kamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी व्रत 21 जुलाई को, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त सहित हर बात

Published : Jul 18, 2025, 04:21 PM ISTUpdated : Jul 21, 2025, 08:07 AM IST
kamika ekadashi 2025

सार

Kamika Ekadashi 2025 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि शिवजी के प्रिय महीने में भगवान विष्णु की पूजा शुभ फल देने वाली मानी गई है।

Kamika Ekadashi Details In Hindi: एकादशी तिथि का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है और जब ये एकादशी तिथि सावन मास में आती है तो इसका महत्व और भी अधिक हो जाता है। पुराणों के अनुसार सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व स्वयं भीष्म पितामह ने देवऋषि नारद को बताया था। इस इस बार कब है कामिका एकादशी, साथ ही पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि की डिटेल…

कब है कामिका एकादशी 2025? (Kamika Ekadashi 2025 Date)

पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 जुलाई, रविवार की दोपहर 12 बजकर 13 मिनिट से शुरू होगी जो अगले दिन यानी 21 जुलाई, सोमवार की सुबह 09 बजकर 39 मिनिट तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 21 जुलाई को होगा, इसलिए ये व्रत इसी दिन किया जाएगा।


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कामिका एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

सुबह 09:15 से 10:54 तक
दोपहर 12:06 से 12:59 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 02:12 से 03:51 तक
शाम 05:30 से 07:09 तक

कामिका एकादशी व्रत विधि (Kamika Ekadashi Puja Vidhi)

- 21 जुलाई, सोमवार की सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें यानी किसी पर क्रोध न करें, किसी की बुराई न करें, जरूरी हो तो फलाहार कर सकते हैं।
- ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त से पहले घर में कोई स्थान अच्छी तरह साफ कर लें। यहां गंगा जल या गौमूत्र छिड़ककर इसे पवित्र कर लें। लकड़ी की एक चौकी यहां स्थापित करें, इसके ऊपर साफ कपड़ा बिछाएं।
- इस चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले कुकुम से तिलक लगाएं। फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। मन ही मन में ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें।
- अबीर, गुलाल, इत्र, चावल, जौ तथा फूल व अन्य चीजें एक-एक करके भगवान विष्णु को चढ़ाते रहें। भगवान को मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें। अंत में आरती करें।
- रात को सोएं नहीं, भगवान की चौकी के पास बैठकर ही भजन-कीर्तन करते रहें। 22 जुलाई, मंगलवार की सुबह एक बार फिर से पूजन करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।
- इस तरह विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहेगी। व्रत के अगले दिन आप अपनी इच्छा अनुसार दान-दक्षिणा भी जरूर करें।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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