Sawan 2025 Pradosh Vrat: सावन में आने वाला प्रदोष बहुत ही खास होता है क्योंकि साल में सिर्फ 2 प्रदोष व्रत ही सावन मास में आते हैं, इसलिए इनका विशेष महत्व माना गया है। जानें कब है सावन 2025 का पहला प्रदोष व्रत?
Kab Hai Sawan 2025 Pradosh Vrat: इन दिनों भगवान शिव का प्रिय सावन मास चल रहा है जो 9 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में शिव पूजा के कईं शुभ योग बनते हैं, प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को यानी प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। जानें जुलाई 2025 में कब करें सावन का पहला प्रदोष व्रत, इसके मंत्र, पूजा विधि, और शुभ मुहूर्त…
कब है सावन 2025 का प्रदोष व्रत? (Sawan 2025 Pradosh Vrat Date)
पंचांग के अनुसार, इस बार सावन मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई, मंगलवार की सुबह 07 बजकर 05 मिनिट से शुरू होगी जो 23 जुलाई, बुधवार की सुबह 04 बजकर 39 मिनिट तक रहेगी। प्रदोष व्रत में शाम को भगवान शिव की पूजा का विधान है, ये संयोग 22 जुलाई, मंगलवार को बन रहा है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। मंगलवार को प्रदोष व्रत होने से ये मंगल प्रदोष कहलाएगा।
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22 जुलाई 2025 प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Sawan 2025 Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
22 जुलाई, मंगलवार को प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 18 मिनिट से शुरू होकर रात 09 बजकर 22 मिनिट तक रहेगा। यानी इस दिन आपको पूजा के लिए पूरे 02 घण्टे 04 मिनट का समय मिलेगा।
इस विधि से करें मंगल प्रदोष व्रत (Mangal Pradosh Puja Vidhi)
- 22 जुलाई, मंगलवार की सुबह सूर्योदय के समय उठें और स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं।
- हाथ में जल, चावल, फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। कोई मनोकामना हो तो वह भी बोलें।
- दिन भर व्रत के नियम का पालन करें। यानी भोजन न करें, क्रोध न करें, किसी की जुगली न करें।
- ऊपर बताए मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें और फिर शिवजी पूजा शुरू करें।
- शिवलिंग क अभिषेक पहले शुद्ध जल से फिर से दूध से और फिर पुन: शुद्ध जल से करें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं। बिल्व पत्र, धतूरा रोली, अबीर आदि चीजें चढ़ाएं एक-एक करके चढ़ाएं।
- पूजा करते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। भगवान को भोग लगाएं और आरती करें।
- इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस तरह प्रदोष व्रत करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
भगवान शिव की आरती (Lord shiva Aarti Lyrics in Hindi)
जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे
हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन
वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भूज दश भुज ते सोहें स्वामी दश भुज ते सोहें
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमालाधारी स्वामी मुंडमालाधारी
त्रिपुरारी धनसाली चंदन मृदमग चंदा
करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें
सनकादिक ब्रह्मादिक ब्रह्मादिक सनकादिक
भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा
करम श्रेष्ठ कमड़ंलू चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता जगहर्ता जगकर्ता जगहर्ता
जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका
प्रणवाक्षर के मध्यत प्रणवाक्षर के मध्य
ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावें स्वामी जो कोई जन गावें
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
