
Kab Hai Nirjala Ekadashi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि सिर्फ इसी एक एकादशी का व्रत करने से पूरे साल की एकादशी व्रत करने का फल मिल सकता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को बताया था । आगे जानिए इस बार कब है निर्जला एकादशी, पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 जून, गुरुवार की रात 02 बजकर 16 मिनिट से शुरू होगी जो 7 जून, शनिवार की सुबह 04 बजकर 48 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी का सूर्योदय 6 जून, शुक्रवार को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।
- सुबह 07:24 से 09:05 तक
- सुबह 11:58 से दोपहर 12:52 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:25 से 02:05 तक
- शाम 05:26 से 07:06 तक
- निर्जला एकादशी के एक दिन पहले यानी 5 जून, गुरुवार की रात सात्विक भोजन करें, भूमि पर सोएं और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 6 जून, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इस व्रत में बिना पानी पीए व्रत करने का नियम है।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें, किसी पर क्रोध न करें, बुराई न करें। कुछ भी खाए-पिए नहीं न कोई बुरा विचार मन में लाएं।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी करें। जहां पूजा करनी हो, उस स्थान को गंगा जल या गौमूत्र छिड़ककर पवित्र कर लें।
- शुभ मुहूर्त में वहां लकड़ी की चौकी या पटिया चौकी रखें और इसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान की प्रतिमा पर कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद भगवान को पीले फूल, फल, दूर्वा, हल्दी और चंदन आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। पीले वस्त्र भी अर्पित करें।
- पूजा करते समय 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' नम: मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद इच्छा अनुसार भोग लगाएं।
- भोग में तुलसी के पत्ते जरूर डालें। निर्जला एकादशी व्रत की कथा सुनें और भगवान विष्णु की आरती करें।
- रात में भगवान के पूजा स्थान के पास बैठकर भजन कीर्तन करें। रात भर जागरण करते रहें, बिल्कुल भी सोए नहीं ।
- अगले दिन यानी 7 जून, शनिवार की सुबह एक बार फिर से भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद व्रत का पारणा करें।
- इस प्रकार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करता है, उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
Disclaimer
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