- परिवर्तिनी एकादशी से एक दिन पहले यानी 13 सितंबर, शुक्रवार से ही व्रत के नियमों का पालन करें। इस दिन रात को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 14 सितंबर की सुबह उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। घर का कोई हिस्सा अच्छी तरह से साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
- शुभ मुहूर्त में उस स्थान पर एक लकड़ी का पटिया रखकर उसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को तिलक लगाएं, हार पहनाएं। दीपक जलाएं।
- इसके बाद फूल, चावल, अबीर, गुलाल, इत्र, आदि चीजें एक-एक करके भगवान को चढ़ाते रहें। पूजा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमो मंत्र का जाप करते रहें।
- अंत में अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं, आरती करें। व्रत की कथा भी सुनें, दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। संकल्प के अनुसार फलाहार कर सकते हैं।
- रात में सोए नहीं, भगवान की प्रतिमा के समीप ही बैठकर भजन-कीर्तन करें। अगले दिन यानी 15 सितंबर, रविवार को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर विदा करें।
- इसके बाद ही अपना व्रत पूर्ण करें और स्वयं भोजन करें। ग्रंथों के अनुसार, इस तरह जो भी परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे अपनी जीवन में हर सुख मिलता है।