Chandra Grahan Sutak Time: 7 सितंबर को सूतक से पहले कर लें श्राद्ध, नोट करें टाइम

Published : Sep 06, 2025, 03:20 PM IST
pitru paksha 7 september 2025

सार

Pitru Paksha 2025: इस बार श्राद्ध पक्ष के पहले ही दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण का संयोग बन रहा है। इस ग्रहण का सूतक दोपहर से ही शुरू हो जाएगा। सूतक शुरू होने से पहले ही श्राद्ध करना जरूरी है। जानें क्या है 7 सितंबर को श्राद्ध का सही समय?

7 September 2025 Shraddha Time: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरूआत होती है। इस बार ये तिथि 7 सितंबर, रविवार को है। खास बात ये है कि इसी दिन चंद्र ग्रहण का संयोग भी बन रहे है, जिसका सूतक दोपहर से ही शुरू हो जाएगा। इस स्थिति में श्राद्ध के लिए सही समय क्या रहेगा, ये जानना बहुत जरूरी है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से जानिए 7 सितंबर, रविवार को श्राद्ध के लिए सही समय क्या रहेगा…

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कब से शुरू होगा चंद्र ग्रहण का सूतक?

7 सितंबर, रविवार को चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12 बजकर 57 मिनिट से शुरू होगा, जो ग्रहण के साथ ही समाप्त होगा। यानी दोपहर 12:57 के बाद सूतक से जुड़े सभी नियम मान्य होंगे। ग्रहण का सूतक शुरू होने से पहले ही श्राद्ध से जुड़े सभी कर्म कर लेना चाहिए, यही शास्त्रीय नियम हैं। सूतक के दौरान किए गया श्राद्ध पितृ स्वीकार नहीं करते।

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7 सितंबर 2025 को श्राद्ध-तर्पण का सही समय

अन्त्यकर्म श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ के अनुसार, श्राद्ध के लिए कुतप काल सबसे श्रेष्ठ समय होता है। कुतप काल का समय सामान्यत: सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक होता है। ये समय श्राद्ध व तर्पण के लिए विशेष शुभ और पुण्यदायी माना जाता है, क्योंकि इस समय किए गए श्राद्ध से पितर संतुष्ट होते हैं और उनका आशीर्वाद हमें प्राप्त होता है। 7 सितंबर को भी इसी समय पितरों का श्राद्ध करना उचित रहेगा।

7 सितंबर को किन पूर्वजों का श्राद्ध करें?

जिन परिजनों की मृत्यु किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि पर हुई हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के पहले दिन यानी भाद्रपद मास की पूर्णिमा पर करना चाहिए। ये तिथि नाना-नानी के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है। विद्वानों के अनुसार अगर नाना पक्ष में कोई भी श्राद्ध करने वाला न हो तो पितृ पक्ष के पहले ही दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए भी श्राद्ध करना चाहिए। नाना पक्ष का श्राद्ध करने के कारण इसे मातामह श्राद्ध भी कहते हैं।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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