
Bhadra Kaal Story: रक्षाबंधन के मौके पर राखी बांधते समय भद्राकाल का समय देखना पड़ता है। जब तक भ्रदाकाल का साया बना रहता है, तब तक बहन अपने भाई को राखी नहीं बांधती हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर कौन है भद्रा? भद्रा सूर्यदेव और माता छाया की बेटी और न्याय के देवता शनिदेव की बहन है। आइए जानते हैं भद्रा से जुड़ी कई दिलचस्प बातें जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। भद्रा का अर्थ होता है कल्याण। वहीं, भद्राकाल इसके विपरीत शब्द है। इसका मतलब होता है किसी भी शुभ कार्य की मनाही होना।
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पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया के घर एक बेटी का जन्म हुआ था, जिसका नाम भद्रा था। भद्रा भी शनिदेव की तरह काफी गुस्से वाली थी। भद्रा का जन्म इसीलिए हुआ था ताकि राक्षसों का संहार कर सकें, लेकिन उल्टा भद्रा ने पैदा होते ही देवताओं के शुभ कार्यों में बाधा डालना शुरू कर दी। इससे सभी देवतागण दुखी रहने लगे। इसका हल निकालने वो ब्रह्माजी के पास पहुंचे।
ब्रह्मा जी ने भद्रा को रोकने के लिए उससे कहा कि तुम हमेशा मनुष्यों के शुभ कार्यों में बाधा नहीं डाल सकती हो, तु्म्हें कुछ खास तिथियों में देवताओं, राक्षसों और मनुष्यों को पीड़ा पहुंचाने का अधिकार होगा। वहीं, ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जब भी चंद्रमा कर्क, कुंभ, सिंह या फिर मीन राशि में होता है तब भद्रा का निवास धरती पर होता है। उस वक्त भद्रा लोगों को नुकसान पहुंचाती है। जब भद्रा धरती पर आती है उस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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पौराणिक मान्यताओं की मानें तो भद्राकाल के दौरान किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। विवाह मुहूर्त, रक्षाबंधन, दीवाली जैसे त्योहारों पर मुख्य पूजा नहीं की जाती है, लेकिन हवन किए जाते हैं। भद्राकाल में जो कोई भी विवाह करता है या फिर नया व्यापार शुरू करता है तो भाग्य उसका साथ नहीं देता है। भद्राकाल में यदि बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं तो उनके रिश्ते में खटास आना शुरू हो जाती है।
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"इस लेख में दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना के लिए है। एशियानेट हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।"