Bhutadi Amavasya 2023: चैत्र मास की अमावस्या बहुत खास होती है, इसे भूतड़ी अमावस्या कहते हैं। इस दिन कई प्रमुख नदियों के किनारे मेलों का आयोजन होता है। जिन लोगों पर ऊपरी हवा का साया होता है, उनकी शुद्धि के लिए ये दिन बहुत ही खास होता है।
उज्जैन. पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या होती है। इन सभी का महत्व अलग-अलग होता है। कुछ महत्वपूर्ण त्योहार भी अमावस्या पर ही मनाए जाते हैं, जिनमें से दीपावली भी एक है। चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। इसे भूतड़ी अमावस्या (Bhutadi Amavasya 2023) भी कहते हैं। इस तिथि का महत्व बहुत अधिक माना गया है। आगे जानिए भूतड़ी अमावस्या क्यों खास है…
कब है भूतड़ी अमावस्या? (Bhutadi Amavasya 2023 Date)
पंचांग के अनुासर, चैत्र मास की अमावस्या तिथि 20 मार्च की रात 01:47 से 21 मार्च की रात 10:53 तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 21 मार्च को होगा, इसलिए इसी दिन चैत्र अमावस्या मानी जाएगी। इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। मंगलवार को होने से ये भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। इस दिन शुभ, शुक्ल और सिद्धि नाम के 3 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है।
चैत्र अमावस्या को क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या?
वैसे तो अमावस्या तिथि हर महीने आती है, लेकिन सिर्फ चैत्र अमावस्या को ही भूतड़ी अमावस्या कहते हैं। भूत का अर्थ है नकारात्मक शक्तियां, जो अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए जीवित लोगों पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं। कभी-कभी बहुत ही उग्र रूप धारण कर लेती हैं। इसी उग्र रूप को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या पर ऐसे लोगों को पवित्र नदी में स्नान करवाया जाता है।
भूतड़ी अमावस्या पर कहां-कहां लगता है मेला? (Bhutadi Amavasya 2023 Mela)
भूतड़ी अमावस्या पर वैसो तो हर पवित्र नदी के तट पर धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है, लेकिन सबसे बड़ा मेला प्रध्य प्रदेश के नर्मटा तट पर धाराजी में लगता है। भूतड़ी अमावस्या पर यहां हजारों लोग पवित्र डुबकी लगाने आते हैं। जिन लोगों पर ऊपरी बाधा का असर होता है वे भी यहां आकर इस परेशानी से मुक्ति पाते हैं। इसके अलावा उज्जैन के क्षिप्रा तट और बावन कुंड में भी इस तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं।
क्यों खास है ये तिथि?
चैत्र अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए आसान उपाय जरूर करने चाहिए, जैसे घर में उनके निमित्त धूप-ध्यान करना चाहिए। गाय को हरा चारा खिलाएं। कुत्ते और कौए को रोटी खिलाएं। संभव हो तो जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े आदि का दान भी करें। भूतड़ी अमावस्या पर ये छोटे-छोटे उपाय करने से पितरों की कृपा हम पर बनी रहती है।
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