Holika Dahan 2023 Date: इस बार होलिका दहन कब किया जाए और धुरेड़ी (होली) पर्व कब मनाया जाए, इसको लेकर काफी कन्फ्यूजन है। इसका कारण है कि फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का संयोग 2 दिन बन रहा है। पंचांगों में होलिका दहन को लेकर मतभेद नजर आ रहा है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसरा, फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन (Holika Dahan 2023 Date) किया जाता है और इसके अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि पर धुरेड़ी (होली) पर्व मनाया जाता है। इस बार तिथियों की घट-बढ़ के चलते इन त्योहारों को लेकर काफी कन्फ्यूजन बना हुआ है। काशी के विद्वान स्वामी कन्हैया महाराज के अनुसार, इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 2 दिन रहेगी, जिसके कारण ये स्थिति बन रही है। आगे जानिए कब करें होलिका दहन और कब मनाएं धुरेड़ी पर्व…
किस दिन कौन-सी तिथि रहेगी? (Kab Kare Holika Dahan)
स्वामी कन्हैया महाराज के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा 6 मार्च, सोमवार की शाम 4.18 से शुरू होकर 7 मार्च, मंगलवार की शाम 5.30 तक रहेगी। इसके बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी। शास्त्रीय विधान के हिसाब से प्रतिपदा तिथि का मान उदया तिथि में होता है, इसलिए चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि 8 मार्च, बुधवार को मानी जाएगी।
किस दिन करें होलिका दहन? (Holika Dahan Shubh Muhurat)
धर्म शास्त्रों में होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में करने का विधान बताया गया है, ये स्थिति 6 मार्च, सोमवार को बन रही है क्योंकि अगले दिन यानी 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि शाम को समाप्त हो जाएगी। इसलिए 6 मार्च की रात्रि को ही होलिका दहन करना शुभ रहेगा। काशी से प्रकाशित होने वाले ऋषिकेश पंचांग, विश्व पंचांग, गणेश पंचांग, चिंताहरण पंचांग और ज्ञानमंडल पंचांग के साथ ही अन्य जगहों से भी प्रकाशित होने वाले मार्तंड पंचांग, कैलाश पंचांग, बंशीधर ज्योतिष पंचांग में भी 6 मार्च को ही होलिका दहन की बात लिखी है।
कब खेलें धुरेड़ी यानी होली पर्व? (Holi Date 2023)
स्वामी कन्हैया महाराज के अनुसार, काशी में ये परंपरा है कि होलिका दहन के अगले दिन ही होली मनाई जाती है और इसका नाता सीधे तौर पर चौसठ्ठी के यात्रा की परंपरा से जुड़ा है। इसलिए 6 मार्च की मध्यरात्रि में होलिका दहन के बाद सुबह 7 मार्च को काशी में रंगों का ये त्योहार मनाया जाएगा। देश के अन्य हिस्सों में ये पर्व 8 मार्च को मनाया जाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि रहेगी।
Holi 2023: विज्ञान के नजरिए से जानें क्यों मनाते हैं होली, क्या हैं इस त्योहार से जुड़े फायदे?
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