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Holi 2023: कामदेव से भी जुड़ी होली की कथा, जानें कौन हैं ये देवता, कब और क्यों लेना पड़ा इन्हें मनुष्य रूप में जन्म?
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जानें कामदेव से जुड़ी खास बातें...
होली से कई कथाएं जुड़ी हैं। उनमें से एक कथा कामदेव की भी है। कामदेव के बारे में धर्म ग्रंथों में अनेक तो नहीं लिखा गया है, लेकिन इनके स्वरूप और पत्नी के बारे में वर्णन जरूर मिलता है। (Facts Of Kamdev) इन्हें मनुष्य रूप में भी जन्म लेना पड़ा। इस जन्म में इनके पूर्वजन्म की पत्नी ने ही इनका पालन-पोषण भी किया। कामदेव के पुनर्जन्म की कथा बहुत ही रोचक और विचित्र है। आज हम आपको कामदेव से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
कौन हैं कामदेव? (Who is Kamdev?)
कई धर्म ग्रंथों में कामदेव का बारे में वर्णन मिलता है। इन्हें भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पुत्र भी कहा जाता है। जब सृष्टि का निर्माण हुआ तो परम पिता ने कामदेव को प्राणियों के मन काम भाव जाग्रत करने का काम सौंपा, जिससे संसार का विस्तार हो सके। कामदेव की पत्नी का नाम रति है, जो सौंदर्य की देवी हैं। कामदेव का स्वरूप अत्यंत मनमोहक है।
ये हैं इनके अस्त्र-शस्त्र और वाहन (Kamdev 's weapon)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामदेव के हाथ में हमेशा तीर व धनुष होता है। ये धनुष ईख यानी गन्ने का है जो हमेशा फूलों से सुसज्जित रहता है। ऐसा कहते हैं कि कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं, तो उसकी आवाज नहीं होती। इनके तरकश में हमेशा 5 बाण होते हैं। प्रत्येक बाण के आगे वाले सिरे पर 3 कोण होते हैं, जो तीनों लोकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यानी कामदेव के बाण से तीनों लोकों में कोई नहीं बच सकता।
कामदेव ने ही किया वसंत ऋतु का निर्माण
धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी सती की मृत्यु की बाद भगवान शिव हजारों सालों तक ध्यान में बैठे रहे। उस समय तारकासुर नामक एक असुर ने ब्रह्माजी ने वरदान मांगा कि मेरी मृत्यु शिव पुत्र के हाथों ही हो। ब्रह्माजी ने उसे ये वरदान दे दिया। वरदान पाकर उस राक्षस ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। तब देवताओं ने शिवजी की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव की सहायता मांगी। इसके लिए सबसे पहले कामदेव ने वसंत ऋतु की रचना की। इसलिए कामदेव को वसंत ऋतु का पिता भी कहा जाता है।
जब शिवजी ने कर दिया कामदेव को भस्म (Why did Shivji burn Kamadeva)
बसंत ऋतु और कामदेव के काम बाणों की वजह से शिवजी का ध्यान टूट गया। क्रोधित होकर शिवजी ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया, जिससे कामदेव भस्म हो गए। शिवजी का ध्यान भंग होने से सभी देवता तो बहुत प्रसन्न हुए, लेकिन कामदेव की पत्नी रति विलाप करने लगी। तब शिवजी ने रति को वरदान दिया कि अगले जन्म में कामदेव श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में दोबारा जन्म लेंगे।
पूर्वजन्म की पत्नी ने पाला और किया विवाह
भगवान शिव के वरदान स्वरूप द्वापर युग में कामदेव ने श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया, लेकिन पैदा होते ही शंबरासुर नामक राक्षस ने उनका हरण कर लिया और समुद्र में फेंक दिया। बालक प्रद्युम्न को रति ने बचा लिया और उसका पालन-पोषण किया। युवा होने पर रति ने उनके पूर्वजन्म और इस जन्म की घटनाएं उन्हें बता दी। प्रद्युम्न ने अपने शत्रु शंबरासुर का वध किया और रति के साथ अपने द्वारिकापुरी जाकर निवास करने लगे।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।