Unique Temple: विज्ञान के लिए चुनौती है मोढेरा का सूर्य मंदिर, साल में 2 बार होती है अद्भुत घटना

Published : Oct 24, 2025, 04:09 PM IST
Unique Temple

सार

Unique Temple: हमारे देश में सूर्यदेव के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं। मोढेरा का सूर्य मंदिर में इनमें से एक है। ये मंदिर धर्म और विज्ञान का अद्भुत संगम है। इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातें आज भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है।

Modhera Surya Mandir Unique Facts: इस बार छठ पूजा का पर्व 27 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करना का विधान है। धर्म ग्रंथों में सूर्य को साक्षात देवता कहा गया है यानी वो भगवान जिन्हें हम देख सकते हैं। हमारे देश में सूर्यदेव के अनेक प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। इन्हीं में से एक है गुजरात के मोढेरा का सूर्य मंदिर। इस मंदिर में धर्म के साथ-साथ विज्ञान का अद्भत संगम देखने को मिलता है। मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य तो वैज्ञानिकों के लिए आज भी चुनौती है। आगे जानें इस मंदिर से जुड़े रहस्य…

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क्या है मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास?

गुजरात के मोढेरा में बना ये सूर्य मंदिर लगभग 1 हजार साल से ज्यादा पुराना है। इसका निर्माण सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ईस्वी में बनवाया था। ये मंदिर भारतीय और ईरानी वास्तु कला का बेहतरीन उदाहरण है। इस मंदिर के तीन भाग हैं- गर्भग्रह, सभा मंडप और सूर्य कुंड। इस मंदिर के जैसी शिल्पकारी अन्य किसी मंदिर में देखने को नहीं मिलती। मंदिर का निर्माण ठीक कर्क रेखा के ऊपर और पूर्व-पश्चिम दिशा में किया गया है, जिसे देखकर ये कहा जा सकता है कि ये मंदिर धर्म और विज्ञान का अद्भुत संगम है।

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साल में 2 बार होता है चमत्कार

इस सूर्य मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि साल में 2 बार सूर्य की किरणें सीधी गर्भगृह में प्रवेश करती हैं। ये दिन लगभग 21 जून और 23 सितंबर या इसके आसपास होते हैं क्योंकि इस समय सूर्य भूमध्य रेखा की सीध में होता है। ये दोनों वह दिन होते हैं जब दिन और रात बराबर होते हैं। इसी घटना को देखते हुए हम ये समझ सकते हैं कि आज से 1 हजार साल पहले भी भारतीय लोग विज्ञान को कितना बेहतर समझते थे।

52 स्तंभ 52 सप्ताह के प्रतीक

मोढेरा सूर्य मंदिर के सभा मंडप में 52 स्तंभ दिखाई देते हैं जो साल के 52 सप्ताह को दर्शाते हैं। साथ ही यहां छोटे-छोटे 108 मंदिर भी हैं। 108 की संख्या को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है। सभामण्डप के सामने एक कुंड भी है जिसे सूर्य कुण्ड कहते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर यहां उत्तरार्ध महोत्सव मनाया जाता है, जो 3 दिन तक चलता है। इस उत्सव में शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुति दी जाती है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।


 

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