छठ पूजा में क्यों की जाती है कोसी भराई? जानें 5 गन्ने और इस अनोखी रस्म का रहस्य

Published : Oct 24, 2025, 05:28 PM IST

छठ पूजा के दौरान कोसी भरने की रस्म का विशेष महत्व है। महिलाएं पांच गन्नों से छतरी बनाकर पूजा करती हैं, जो पंच तत्वों का प्रतीक है। यह अनुष्ठान मनोकामना पूर्ति और छठी मैया के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, सुख, समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना के…

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25 अक्टूबर से शुरू हो रहा छठ महापर्व

चार दिवसीय लोकपर्व छठ शनिवार, 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता है। इस लोकपर्व में कई अनुष्ठान होते हैं, जिनके बिना यह उत्सव अधूरा माना जाता है। इनमें से प्रत्येक अनुष्ठान का अपना धार्मिक महत्व है, जिनमें से एक है कोसी भरना। आइए जानें कोसी भरने का महत्व और यह कैसे किया जाता है।

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कोसी भरने का महत्व

छठ पर्व नहाय खाए से शुरू होता है। इस वर्ष छठ 25 अक्टूबर से शुरू होगा और 28 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। छठ पर्व के दौरान कोसी भरने की परंपरा का विशेष महत्व है। कोसी भरना महिलाओं द्वारा किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि छठ पर्व के दौरान पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनकी संतान भी लंबी और स्वस्थ जीवन प्राप्त करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी मनोकामना की पूर्ति या किसी रोग से मुक्ति पाने के लिए कोसी भरने की मन्नत मानी जाती है। जब यह मनोकामना पूरी हो जाती है, तो भक्त छठ पूजा के दौरान कोसी भरकर छठी मैया का धन्यवाद करते हैं।

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कोसी कैसे भरी जाती है?

अगर आप पहली बार छठ पूजा कर रहे हैं, तो आपको बता दें कि कोसी बनाने के लिए सबसे पहले छठ पूजा की टोकरी एक जगह रखें और उसके चारों ओर पांच या सात गन्नों की मदद से एक छतरी बनाएं। गन्ने को खड़ा करने से पहले, टोकरी के ऊपर लाल कपड़े में लिपटे ठेकुआ और फल रखें। टोकरी के अंदर मिट्टी का एक हाथी और उसके ऊपर एक घड़ा रखें। हाथी पर सिंदूर लगाएं। फिर, घड़े में ठेकुआ, फल, मक्के, अदरक, मूली आदि रखें। इस दौरान, कुछ लोग कोसी के अंदर 12 या 24 दीपक भी जलाते हैं। इसके बाद महिलाएं पारंपरिक छठ गीत गाती हैं। पूजा के अंत में, कोसी में धूप डालकर हवन किया जाता है और छठी मैया से मनोकामना पूर्ति की कामना की जाती है।

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कोसी भराई में पांच गन्ने क्यों रखे जाते हैं?

कोसी भराई की रस्म में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक योगदान देती हैं, लेकिन पुरुष भी कोसी की सेवा करते हैं, जिसे कोसी सेवा कहते हैं। जिस घर में कोसी की पूजा की जाती है, वहां रात भर उत्साह और उल्लास का माहौल बना रहता है। शाम को अर्घ्य देने के बाद, सुबह के अर्घ्य के दौरान घाट पर फिर से कोसी भराई की रस्म निभाई जाती है। इस दौरान महिलाएं अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए खुशी और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गीत गाती हैं। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद, प्रसाद को घाट पर विसर्जित कर दिया जाता है और गन्ने को घर वापस लाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोसी भराई में रखे गए पांच गन्ने का अपना महत्व है, जो पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पांच गन्ने पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि कोसी भराई की रस्म में इन पांच गन्नों का और भी अधिक महत्व है।

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छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का इतिहास प्राचीन भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। सूर्य को ग्रहों का राजा, जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत माना जाता है। सूर्य की पूजा न केवल सुख और शांति लाती है, बल्कि भारतीय समाज की विविधता और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। इस पर्व के दौरान विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। विशेष रूप से महिलाएं इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं। व्रत, प्रसाद और विशेष व्यंजन इस पर्व का हिस्सा हैं। इस पर्व के दौरान महिलाएं स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखती हैं। वे नदी या तालाब के किनारे जाकर जल के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अर्घ्य अर्पित करती हैं। इस अवसर पर एकता और सामूहिकता की भावना प्रबल होती है, क्योंकि विभिन्न समुदाय के लोग इस पर्व को मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

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