
Devshayani Ekadashi Katha In Hindi: इस बार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं, का व्रत 17 जुलाई, बुधवार को किया जाएगा। देवशयनी का अर्थ है देवताओं का शयन काल। मान्यता है कि इस तिथि से अगले 4 महीने तक भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम के लिए जाते हैं। भगवान विष्णु पाताल लोक में क्यों जाते हैं, इसके जुड़ी एक कथा भी हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है। जानें क्या है ये कथा…
जब भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, दैत्यों का राजा बलि ने अपने पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। देवताओं ने ये बात जाकर भगवान विष्णु को बताई तो उन्होंने वामन रूप में अवतार लिया और भिक्षा मांगने राजा बलि के पास गए। बलि के गुरु शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया, लेकिन तब तक बलि वचन दे चुके थे।
भिक्षा में क्या मांगा भगवान वामन ने?
भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग धरती भिक्षा में मांगी। बलि ने भिक्षा देना स्वीकार किया। तब भगवान विष्णु ने अपना शरीर को बढ़ाकर एक पग में धरती और दूसरे में आकाश नाप दिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि ने स्वयं को आगे कर दिया और कहा “आप तीसरा पैर मेरे ऊपर रखिए।”
बलि से खुश हुए भगवान वामन
जब भगवान वामन ने राजा बलि के ऊपर पैर रखा तो वह पाताल में चला गया। भगवान ने उसे पाताल लोक का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा। बलि ने कहा कि ‘आप भी मेरे साथ पाताल में रहिए।’ बलि की बात मानकर भगवान विष्णु को भी पाताल जाना पड़ा। ऐसा होने से सभी देवता और देवी लक्ष्मी परेशान हो गई।
इसलिए 4 महीने पाताल में रहते हैं भगवान विष्णु?
अपने पति यानी भगवान विष्णु को पाने के लिए देवी लक्ष्मी राजा बलि के पास गई और रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें भाई बना लिया। बलि ने वरदान मांगने को कहा तो देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मांग लिया। इस तरह 4 महीने बाद भगवान विष्णु पाताल लोक से बाहर आए। तभी से भगवान विष्णु 4 महीने तक पाताल में निवास करते हैं।
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